श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर को जोड़ने वाली ऐतिहासिक जवाहर सुरंग का नवीनीकरण कार्य अब पूरा हो गया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा किए गए इस काम में सुरंग को आधुनिक और सुरक्षित बनाने के लिए नई तकनीक और उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है। 2.5 किलोमीटर लंबी यह सुरंग जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक मार्ग के रूप में कार्य करती है। नवीनीकरण के दौरान, सुरंग में उच्च तकनीक वाले सुरक्षा और निगरानी उपकरण लगाए गए हैं। इसके अलावा, सुरंग में वेंटिलेशन जेट पंखे और उन्नत लाइटिंग जैसी सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं। यह सुरंग अब लंबे समय तक सुरक्षित रूप से इस्तेमाल के लिए तैयार है। इस परियोजना की लागत 62.50 करोड़ रुपये आई और इसे केवल 18 महीनों में पूरा किया गया। यह कार्य जुलाई 2022 में शुरू हुआ था। सुरंग के दोनों ओर कंक्रीट बिछाकर उसकी सतह को मजबूती प्रदान की गई और इसके माध्यम से रिसाव की समस्या को भी दूर किया गया, जो पहले सड़क की सतह को खराब कर रही थी। साथ ही, सुरंग की निगरानी के लिए आधुनिक गैजेट्स का इस्तेमाल किया गया है ताकि इसकी सुरक्षा और प्रदर्शन को सही तरीके से ट्रैक किया जा सके। नवीनीकरण के बाद, अब इस सुरंग में ईंधन टैंकर, एलपीजी सिलेंडर और अन्य विस्फोटक सामग्री ले जाने वाले ट्रकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस सुरंग को जर्मन इंजीनियरिंग कंपनी द्वारा 1954 में पीर पंजाल पर्वतमाला पर 2200 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया था और यह कश्मीर को शेष भारत से जोड़ने का एकमात्र मार्ग था। अब, इस सुरंग को अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों और बुनियादी ढांचे के साथ तैयार किया गया है, जिससे यह क्षेत्रीय परिवहन को और अधिक सुरक्षित और सुगम बनाएगी। न बिजली-न मोबाइल, और ना कोई आधुनिक सुविधा..! ये है भारत का एकमात्र 'वैदिक गाँव' भाजपा में शामिल हुए दिल्ली के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत, जानिए क्या बोले? जितनी WHO की लिमिट है, उससे 60 गुना अधिक जहरीली है दिल्ली..! पर दोषी कौन?