2050 तक अकाल मृत्यु के गाल में समा जाएंगे लाखों लोग, ये है उसकी वजह

वाशिंगटन: वायु और जल प्रदूषण सेहत के लिए कितना जोखिमभरा व जानलेवा है, इसका अनुमान इस बात से आसानी से लगाया जा सकता है कि हर साल विश्वभर में लगभग 9 मिलियन (90 लाख) लोगों की मृत्यु हो जाती है। इसी सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण बिगड़ने के विनाशकारी परिणामों से मानवता को बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई की अपील की है। 

संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए चेताया है कि अगर अभी भी सभी देशों ने एकजुट होकर पर्यावरण को बचाने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए गए तो 2050 तक एशिया, पश्चिमी एशिया और अफ्रीका के शहरों व क्षेत्रों में लाखों लोगों की अकाल मृत्यु संभावित है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 2050 तक जल प्रदूषण ही मौतों की एक मात्र वजह बन जाएगा। फ्रेश वॉटर सिस्टम प्रदूषकों के कारण कीटाणु प्रतिरोधक हो जाएंगे। इसके कारण न सिर्फ लोगों की अकाल मृत्यु होगी बल्कि पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा।   भारत समेत 70 से ज्यादा देशों के 250 वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने यह रिपोर्ट बनाई, जिसे केन्या के नैरोबी में चल रही संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में पेश किया गया था। इस रिपोर्ट में अमीर देशों द्वारा बर्बाद करने वाले फूड वेस्टेज के हैरान करने वाले आंकड़े भी पेश किए गए हैं, जबकि गरीब देश अपनी जनसँख्या को खिलाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। 

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