लंदन: 2022 सितंबर में ब्रिटेन के लेस्टर में हुए हिंदू विरोधी दंगों की रिपोर्ट में कहा गया है कि सोशल मीडिया इंफ्लुएंसरों के एक समूह की साजिश की वजह से शहर में हिन्दुओं पर हमला हुआ था। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर में से कुछ के ताल्लुक आतंकियों के साथ हैं। ब्रिटेन स्थित हेनरी जैक्सन सोसाइटी के शार्लोट लिटिलवुड ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए 'संगठित हिंदुत्व चरमपंथ' और 'हिन्दू आतंकवाद' का एक झूठा नैरेटिव गढ़ा गया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि, हिंदुत्व चरमपंथ का झूठा नैरेटिव गढ़ने वालों में एक सजायाफ्ता आतंकी भी शामिल है, जिसने तालिबान और ISIS के आतंकियों के लिए दुआ माँगी थी। शार्लोट लिटिलवुड की रिपोर्ट में इन सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर पर फर्जी खबरें फैलाकर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का इल्जाम लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनेताओं की मदद से मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा सहानुभूति हासिल करने के लिए हिन्दुओं के खिलाफ झूठा नैरेटिव गढ़ा गया, जिसका नतीजा ये हुआ कि हिन्दुओं के पूजा स्थलों पर हमले बढ़े और हिंदू समुदाय की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि मेनस्ट्रीम मीडिया ने घटनाओं का सही एवं तथ्यात्मक विश्लेषण करने की जगह उलटा हिंदुत्व और भारत की सियासत पर इन इंफ्लुएंसर के बयानों को अपनी रिपोर्ट में शामिल करके मुद्दे को और उलझा दिया। इसके साथ ही, ब्रिटेन के थिंक-टैंक ने अपनी जाँच रिपोर्ट में बताया है कि जिन लोगों पर ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के आतंकवादी‘ होने का इल्जाम लगाया गया था, उनका न तो दक्षिणपंथी संगठन से कोई ताल्लुक था और न ही उन्हें उसके संबंध में कोई जानकारी ही थी। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि, 'ब्रिटेन में सक्रिय RSS के आतंकियों और हिंदुत्व चरमपंथी संगठनों के फर्जी और मनगढंत आरोपों ने हिंदू समुदाय को व्यापक नफरत, हमले और बर्बरता के खतरे में डाल दिया है।' इनमें से एक इंफ्लुएंसर ने एक रैली का नेतृत्व करते हुए एक वीडियो शेयर किया था, जिसके कैप्शन में लिखा था कि, ‘मुस्लिम पेट्रोल इन लेस्टर’, जिसके जरिए मुस्लिमों को बाहर आकर ‘हिंदू फासीवादियों’ का मुकाबला करने के लिए भड़काया गया था। इस इंफ्लुएंसर के सोशल मीडिया पर 8 लाख फॉलोअर्स हैं, जिससे 'हिन्दू फासीवादी' का झूठा नैरेटिव जमकर फैला और उन पर हमले हुए। इनमें से 1.5 लाख फॉलोवर वाले एक इंफ्लुएंसर ने एक मुस्लिम लड़की और हिंदू लड़के को लेकर झूठी खबरें फैलाई थीं। इसके पहले यह अपने आप को पाकिस्तान में D कंपनी से जुड़ा हुआ बताया था और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की जमकर प्रशंसा की थी। शार्लोट लिटिलवुड की रिपोर्ट के अनुसार, यह मुद्दा दमन और दीव के एक हिंदू और उसके मुस्लिम पड़ोसियों के बीच टकराव से पैदा हुआ है। यह हिंदू हाल ही में वहाँ गया था। पूर्वी लेस्टर के LE5 पोस्टकोड इलाके में मुस्लिम आबादी काफी अधिक है, और वहाँ हाल ही में गए हिंदू परिवार ने अपने त्योहारों पर उत्सव मनाया था। इससे उसके मुस्लिम पड़ोसी गुस्सा हो गए थे। इसके बाद उस हिंदू व्यक्ति ने 17 सितंबर को ‘हिंदू सेफ्टी मार्च’ निकालते हुए हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। इसके बाद से ही साड़ी फर्जी कहानियां शुरू हुईं और इन इंफ्लुएंसरों ने फेक फोटोग्राफ के माध्यम से उसे RSS का आतंकी बताया और हाथ में तलवार लिए हुए उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी। जिसके बाद से मामला बिगड़ता चला गया और हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा भड़क उठी। इस हिन्दू विरोधी हिंसा में ब्रिटेन का सजयाफ्ता कट्टरपंथी मौलाना अंजेम चौधरी और इस्लामी खिलाफत का सपना देखने वाला प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिज्ब-उर-तहरीर का भी हाथ सामने आया है। वहीं, मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा तथ्य न पेश करना और झूठे नैरेटिव गढ़कर आतंकियों का साथ देना, हिन्दुओं को और अधिक मुश्किल में डालता चला गया। इस्लामिक देश UAE में मिला ईसाईयों का प्राचीन मठ, उस समय नहीं हुआ था पैगंबर मुहम्मद का जन्म हिजाब विरोधी प्रदर्शन में शामिल होने पर मशहूर शेफ की हत्या, ईरान पुलिस ने पीट-पीटकर मार डाला शिया दरगाह पर 'इस्लामिक स्टेट' का हमला, 15 मुस्लिमों की मौत, 40 घायल