गणतंत्र दिवस पर दिखी बिना ब्लाउज वाली महिलाओं की झांकी, हुआ बड़ा विवाद

26 जनवरी को देशभर में 70वें गणतंत्र दिवस का आयोजन बड़े ही धूम-धाम से किया गया.इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में बहुत कुछ पहली बार हुआ है. लेकिन परेड के बाद से ही एक विवाद शुरू हो गया हैं. सूत्रों की माने तो इस बार गणतंत्र दिवस परेड में कुल 16 राज्यों की झांकी राजपथ पर नजर आई थी. लेकिन इसी बीच तमिलनाडु की झांकी को लेकर विवाद शुरू हो गया है. दरअसल तमिलनाडु राज्य की झांकी में महिलाओं को बिना ब्लाउज के सिर्फ साड़ी में दिखाया गया था.

इस झांकी में महात्मा गांधी की मदुरै यात्रा को दिखाया गया था जिसमे महिलाओं को बिना ब्लाउज सिर्फ साड़ी में दिखाया गया था. आपको बता दें साल 1921 में महात्मा गांधी मदुरै यात्रा पर गए थे और इसके बाद उन्होंने कपड़े त्याग दिए थे और सिर्फ एक धोती पहनने का फैसला किया था. उन्होंने इतना बड़ा फैसला वहां के किसानों की दयनीय हालत को देखकर लिया था. अब इस बारे में बात करते हुए राजनीतिक दल द्रविड़ इयक्का तमिझर पेरावई के महासचिव सुबा वीरापांडियन ने कहा कि, 'इस यात्रा के बाद महात्मा गांधी ने सिर्फ एक धोती पहनने का फैसला किया था. यह महात्मा गांधी और तमिलनाडु के लिए अहम घटना थी, लेकिन 1921 में महिलाएं इस तरह कपड़े नहीं पहनती थीं, जैसा झांकी में दिखाया गया है. त्रावणकोर क्षेत्र में महिलाएं इस तरह का पहनावा पहनती थीं. मगर महिलाओं के ब्लाउज पहनने पर बैन को 19वीं शताब्दी में ही खत्म कर दिया गया था.'

इतना ही नहीं वीरापांडियन ने ये भी कहा कि, 'ऐसा नहीं होना चाहिए था, वह भी तब जब राजपथ पर देश के गौरव यानी परेड को पूरी दुनिया देख रही थी.' वीरापांडियन के अलावा असंगठित मजदूर संघ की सलाहकार आर गीता ने भी इस बारे में बात करते हुए कहा कि, 'बिना ब्लाउज के महिलाओं को दिखाने से बचा जा सकता था.'

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