जंगल से शहर की तरफ एनिमल्स का अधिक मूवमेंट होने से रेस्क्यू टीमें वैन के साथ भागती रही। लेकिन मंत्रालय को एनिमल्स को रेस्क्यू करने में भी सहायता मिली। खासकर सांप, उत्पाती बंदरों व जैकाल ने मंत्रालय को पूरे सालभर काफी परेशान किए रखा। लॉकडाउन में जारी किए थे स्पेशल पास: जंहा इस बात का पता चला है कि कोविड-19 संक्रमणकाल में लॉकडाउन की वजह से ट्रैफिक न चलने के कारण जंगलों से इस बार वाइल्ड एनिमल्स का मूवमेंट शहर की तरफ होना अधिक कहा जा रहा है। जिस वजह से वन मंत्रालय की टीमों के लिए स्पेशल पास भी जारी कर दिए थे। इसके उपरांत वाइल्ड एनिमल्स को रेस्क्यू के उपरांत जंगलों में छोड़ा गया। लेकिन हर सीजन की तर्ज पर सांप देखने को मिला है, पर टीमें तमाम इलाकों में खूब दौड़ लगा दी हैं। ऊपर से उत्पाती बंदरों ने खूब परेशान किया। राजभवन में तो कई दिनों तक स्पेशल टीमें भी मुस्तैद की जा चुकी थी। लेकिन इसके बावजूद ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई। 2020 में रेस्क्यू किए एनिमल्स: 290--सांप, 137--उत्पाती बंदर, 25-- मॉनिटर लीजर्ड, 67 --ब‌र्ड्स काइट्स, 6--लेपर्ड, 14--जैकाल, 28--सीवेट कैट्स, 2019 में रेस्क्यू किए एनिमल्स, 206---सांप, 64 --बंदर, 38--बिज्जू, 29--मॉनिटर लीजर्ड, 29--ब‌र्ड्स, 26---लंगूर, 2--हाथी, 4---लेपर्ड, 4---जंगली सुअर, 6--मैंगूज, 19---उल्लू, 22---हिरन। लैपर्ड यहां से किए रेस्क्यू: 3 ऋषिकेश, 2 झाझरा, 1 एयरपोर्ट, 1 आईटी पार्क, बंदरों के आतंक से ग्रसित इलाके, जाखन, कारगी, बसंत विहार, इंदिरा नगर, राजपुर रोड, सचिवालय, राजभवन। TMC का 23वां स्थापना दिवस आज, ममता बनर्जी ने कार्यकर्ताओं को कहा 'धन्यवाद' अनिल कपूर ने उठाया सस्पेंस से पर्दा, रणबीर कपूर की इस अगली फिल्म का किया ऐलान कोपिली हाइडल परियोजना के लिए केंद्र-एशियाई विकास बैंक ने ऋण समझौते पर किए हस्ताक्षर