विश्वस्तर कोरोना महामारी तेजी से फैल रही है. जिसके विरूध्द कारगार टीका बनाने में कई वैज्ञानिक जुटे हुए हैं.ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा परीक्षण की जा रही विश्व की पहली संभावित कोरोना दवा के नतीजे अब तक बहुत प्रभावित हो चुके हैं। किन्तु, इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनियाभर में रिसर्चर दवा बनाने के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं. इनमें कुछ अतिंम स्टेज के ट्रायल में भी पहुंच चुके हैं. किन्तु लोग किसी वैक्सीन के बाजार में आने की आशा 2021 तक न करें.WHO ने बताया कि वह दवा के ईमानदारी के साथ बंटवारे को सुनिश्चित करने की प्रयास करेगा.इस दौरान महामारी के फैलाव को रोकना ही एकमात्र कारगर उपाय है. भारत में आई बाढ़ बनी लोगों की मौत का कारण, रूस के राष्ट्रपति ने जताया शोक विदित हो कि इस समय ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की दवा ने विश्व में सबसे अधिक आशा पैदा की हैं.भारतीय कंपनी सेरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर कोविड-19 की वैक्सीन तैयार कर रही है. कारगिल विजय दिवस : शहीद होने से पहले 'सुल्तान' ने लहराया था पहाड़ी पर तिरंगा इसके अलावा भारत के चिकित्सा शोधकर्ता की मानें तो दवा जल्द बन भी गई, तब भी भारत की 60-70 फीसद जनसंख्या के टीकाकरण में कम से कम 2 वर्ष का समय लगेगा.‘हर्ड इम्यूनिटी’ सुनिश्चित करने के लिए कम से कम 60 से 70 फीसद जनसंख्या में रोग प्रतिरोधकता जरूरी है।इस बीच, एक बड़ा खुलासा हुआ है.मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने कोरोनावायरस के संक्रमण से निजात दिलाने वाले टीके की दस करोड़ खुराक अपने पास सुरक्षित रख ली हैं.जर्मनी की कंपनी बायोएनटेक ने इस बात का खुलासा किया है.बायोएनटेक ने बताया कि अमेरिका ने $1.95 अरब प्राइस की कोरोनावायरस की दवा अपने लिए हासिल करने की बात कही है. कारगिल विजय दिवस : भारत के 'बहादुर' से डरता था पाक, कहता था 'चुड़ैल' मूंगफली के लिए स्कूल से निकाल दिए गए थे बाल गंगाधर तिलक, हमेशा सच्चाई की राह पर चले आज भी हिंदी सिनेमा के फर्स्ट कॉमेडी किंग है मेहमूद, हासिल की कई उपलब्धियों