भारतीय रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार को अपनी सरप्लस राशि से 99,122 करोड़ रुपये देने का फैसला लिया है। रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में शुक्रवार को इसे अनुमति दी गई। यह राशि जुलाई 2020 से 31 मार्च 2021 तक के नौ माह के लिए है। बोर्ड ने यह फैसला लिया है कि रिजर्व बैंक में आपातकालीन जोखिम बफर 5.50% फीसदी तक बनाए रखा जाएगा। जालान समिति की सिफारिश के अनुसार, रिजर्व बैंक के बहीखाते का 5.5 से 6.5 फीसदी भाग आपातकालीन निधि के तौर पर रखा जाना चाहिए। वही रिजर्व बैंक के बोर्ड की 589वीं बैठक में 21 मई मतलब शुक्रवार को यह फैसला लिया गया। रिजर्व बैंक ने एक बयान में इस निर्णय की जानकारी देते हुए कहा, 'रिजर्व बैंक के लेखा साल को बदलकर अप्रैल से मार्च कर दिया गया है पहले यह जुलाई से जून था। इसलिए बोर्ड ने जुलाई से मार्च 2021 के नौ माह के संक्रमण अवधि के चलते भारतीय रिजर्व बैंक के कामकाज पर बातचीत की। बोर्ड ने इस संक्रमण के चलते रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट तथा एकाउंट्स को अनुमति दी है। बोर्ड ने केंद्र सरकार को 99,122 करोड़ रुपये का ट्रांसफर करने को भी अनुमति दी है।' गौरतलब है कि इसके पहले रिजर्व बैंक ने वर्ष 2019 में मोदी सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये राशि ट्रांसफर की रही। तब रिजर्व बैंक के इस निर्णय की विपक्ष ने बहुत आलोचना की थी। बिमल जालान समिति की सिफारिशों के अनुरूप यह राशि ट्रांसफर किया गया था। रिजर्व बैंक वर्ष के चलते जो आमदनी करता है, पूरे खर्च आदि निकालने के पश्चात् जो राशि बचती है वह उसका सरप्लस फंड होता है। यह एक प्रकार से लाभ होता है। अब रिजर्व बैंक की वास्तविक मालिक सरकार होती है, इसलिए नियम के अनुसार, रिजर्व बैंक सरकार को इस मुनाफे का एक बड़ा भाग देता है तथा एक भाग जोखिम प्रबंधन के तहत अपने पास रखता है। आज फिर उछला पेट्रोल-डीजल का दाम, जानिए क्या है कीमत एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बने गौतम अडानी, पहले नंबर पर अंबानी का दबदबा कायम सोने के दामों में आया उछाल, जानिए क्या है नया भाव?