परिवार के नींव होते हैं बुजुर्ग

जैसे किसी घर की मजबूती उसकी नींव पर आधारित होती है वैसे ही परिवार की मजबूती उस परिवार के बुजुर्ग होते हैं. आदर की कमी के कारण ही अपनों के बीच आज बुजुर्ग अपना अधिकार खोते जा रहे हैं। आज की पीढी ग्लैमर और पैसे के पीछे भाग रही है। घर बुजुर्ग उनके लिए जबरदस्ती का बोझ के समान होते हैं। बुजुर्गो को आदर सम्मान देना उनके लिए अब बीते हुए कल की बात हो गई है। अपने शहर में वृद्धाश्रम में बढ़ती बुजुर्गों की संख्या इस बात की गवाह है कि किस तरह उनके घरवाले उन्हें बोझ समझ कर घर से बाहर कर देते हैं. मां-बाप की संपत्ति पर तो सब हक़ जताते हैं लेकिन एक बार ये मकसद हल हो जाए तो फिर वो दोनों बोझ नज़र आने लगते हैं. ये सब भुला दिया जाता है कि बचपन में कितनी मुसीबतें उठा कर मां -बाप बच्चों की परवरिश करते हैं. बुजुर्ग सिर्फ आपके बहक का ध्यान रखने या फिर घर के छोटे मोठे काम करने के लिए नहीं होते। वो घर के मुखिया होते हैं और उन्हें भी सम्मान की जरुरत होती है. आज कल न्यूक्लियर फेमिली का जमाना है. पति-पत्नी और उनके बच्चे ही परिवार कहलाते हैं.

पहले जॉइंट फेमिली का चलन था और इसके फायदों के बारे में हर वो इंसान जानता है जो जॉइंट फेमिली में रहता है या रहता था. बुजुर्गों के तजुर्बे से बहुत कुछ सीख जा सकता है. उहोने अपने जीवन में हर क्षण को देखा है इसलिए उनसे ज्यादा ज्ञान किताबों भी नहीं मिलता। आपके बच्चों में संस्कार और व्यवहारिकता दादा-दादी से ही प्राप्त होगी जिससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक सक्षम होकर जीवन में चुनौतियों का सही ढंग से मुकाबला करने में सक्षम बनते हैं। संयुक्त परिवार और एकल परिवार के बच्चों में अन्तर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.

अपने प्यार से रिश्तों को सींचने वाले इन बुजुगों को भी बच्चों से प्यार व सम्मान चाहिए, अपमान व तिरस्कार नहीं। अपने बच्चों की खातिर अपना जीवन दाँव पर लगा चुके इन बुजुर्गों को अपनों के प्यार की जरूरत है युवावर्ग को यह भी समझने की जरुरत है कि बुजुर्गों का अपमान करना उनके लिए शर्म की बात है और बुजुर्गों का सम्मान करना, उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करना तथा उनकी देखभाल करना युवाओं का महत्वपूर्ण दायित्व है।

 

Related News