नई दिल्ली: देश में मरीजों को गुमराह करने वाली एक जैसे नाम वाली दवाओं पर लगाम लगेगी। जानकारी के अनुसार बता दें कि औषधि परीक्षण परामर्श बोर्ड डीटैब इससे जुड़े प्रस्ताव पर अगले हफ्ते निर्णय ले सकता है। यहां बता दें कि इसके बाद कंपनियों को दवा के ब्रांड का नाम ड्रग कंट्रोलर के पास पंजीकृत कराना होगा व नाम अन्य कंपनी से मिलता जुलता होने पर परिवर्तन करना जरूरी होगा। वहीं यह प्रस्ताव एक जैसे नाम वाली अलग-अलग बीमारियों की दवाओं के चलते मरीजों व तीमारदारों में उत्पन्न भ्रम को खत्म करने को लाया गया है। पीएम मोदी ने अभिनेता अंबरीश की मौत पर शोक व्यक्त किया वहीं मौजूदा समय मार्केट में मिलते जुलते या एक जैसे नाम पर वाली कई दवाएं मार्केट में हैं। इसकी वजह यह है कि दवाओं के ब्रांड का नाम पंजीकृत कराना जरूरी नहीं है। ऐसे में तमाम कंपनियां दवा का शुरुआती नाम किसी चर्चित या जानी-पहचानी दवा के नाम पर रख देती हैं। जैसे एल्फ्लॉक्स एंटीबायोटिक है व एल्फॉक्स मिर्गी की दवा भी है। एल्फ्लॉक्स के साथ नॉरफ्लॉक्सिन जुड़ा है जबकि एल्फॉक्स में ऑक्सकरबाजेपाइन बाद में आता है। इसके अतिरिक्त पहला नाम बड़े अक्षरों में होता है जबकि शेष सब कुछ छोटे अक्षरों में लिखा रहता है। आज 'मन की बात' ने मनाई गोल्डन जुबली, पीएम मोदी दिलाई संविधान दिवस की याद वहीं डॉ सुनील दोहरे के अनुसार कई कंपनियों की दवाओं के नाम मिलते जुलते हैं। ऐसे में मरीज या तीमारदार के गुमराह होने की स्थितियां पैदा होती हैं, जैसे किसी घर में दो बीमारियों के मरीज हैं व तीमारदार दोनों को गुमराह होकर दवा बदलकर खिला दे। ऐसे में मरीज को भारी नुकसान की संभावना है। खबरें और भी राजस्थान चुनाव: अजमेर दरगाह और ब्रह्मा मंदिर जाएंगे राहुल गांधी खाना खाने के बाद अपने-अपने कमरे में सो रहे थे, आग लगी तो सब कुछ बदल गया करतारपुर गलियारे के शिलान्यास के लिए पाक के निमंत्रण पर सुषमा स्वराज ने किया इंकार