नईदिल्ली : CRPF के एक रिटायर्ड सोल्जर ने नोटबंदी के बाद नकदी न मिलने से आत्महत्या कर ली। दरअसल नोटबंदी के बाद इस फौजी के पास नोट की कमी होने लगी। इसे उपचार के लिए रूपयों की आवश्यकता थी मगर जब नोट नहीं मिल पाए तो इसने अपना जीवन ही समाप्त कर लिया। इस फौजी की पहचान राकेश चंद 54 वर्ष निवासी बढ़ाना के तौर पर हुई। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक राकेश कश्मीर के बारामुला में साल 1990 में हुए हमले के दौरान अपने सीने पर पांच गोलियां खाई थीं. इसके बाद से लगातार उनके हृदय संबंधी दिक्कतों का इलाज चल रहा था। दरअसल राकेश को 15 हजार रूपए पेंशन मिला करती थी। बीमारी की हालत में उन्हें उपचार के लिए 6 से 7 हजार रूपए खर्च करने पड़ते थे। इतना खर्च दवाईयों आदि में खर्च हो जाता था। ऐसे में जब वे बैंक में शनिवार को रूपए निकालने पहुंचे और रूपए नहीं मिले तो उन्होंने अपनी लाइसेंसी बंदूक से गोली मार ली। गोली लगने के कारण मौके पर ही उनकी मौत हो गई। राकेश ताजगंज स्थित एसबीआई शाखा में पिछले सप्ताह से रूपए निकालने जाते थे। राकेश को लेकर उनके पुत्र सुशील ने कहा कि राकेश अवसाद का उपचार करवाना चाहते थे। जब उन्हें उपचार के लिए रकम नहीं मिली तो फिर उन्होंने आत्महत्या का रास्ता अपनाया। सुशील BSF में कार्य करते थे उन्होंने वीआरएस लेकर बीएसएफ छोड़ दी और पिता राकेश उनके साथ ही रहा करते थे। 6 लोगों के दिमाग की उपज थी नोटबंदी की योजना मैं नोटबंदी से खुश हूँ