नई दिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों व शक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जारी लड़ाई में गुरुवार को हुई सुनवाई में दिल्ली सरकार ने संविधान पीठ के समक्ष अपनी दलील देते हुए कहा कि उप राज्यपाल को कोई अधिकार नहीं है. वे लोकतंत्र का मजाक बना रहे हैं. अब इस मामले में अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी. उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार ने दलील दी कि उप राज्यपाल बिना किसी अधिकार के निर्वाचित सरकार के फैसले ले रहे हैं या फिर उन्हें बदल रहे हैं.एलजी से मतभेद होने की दशा में राष्ट्रपति या दिल्ली सरकार या मंत्रिपरिषद के पास निर्णय का अधिकार है. सरकार ने अपना पक्ष मजबूत करने के लिए दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार अधिनियम जैसे अन्य विधानों का भी हवाला दिया . केजरीवाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम ने पैरवी की. बता दें कि दिल्ली सरकार की ओर से मतभेद की स्थिति में राष्ट्रपति के निर्णय को अंतिम मानते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले का भी जिक्र किया जिसमें हाई कोर्ट ने एलजी को दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख होने का फैसला दिया था. वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि अब हर मामले में एलजी कह रहे हैं कि सरकार को कोई अधिकार नहीं है और वह खुद निर्णय लेंगे.चिदंबरम ने कहा कि नीतिगत निर्णय निर्वाचित सरकार के लिए आधार होते हैं. यह भी देखें सुप्रीम कोर्ट ने जेपी इंफ्राटेक की अर्जी ख़ारिज की तलाक मामले में दिखी सुप्रीम कोर्ट की संवेदनशीलता