मनोरोगियों के रूप में सड़क पर घूमता खतरा

यूं तो लगभग हर शहर में इक्का-दुक्का मनोरोगी सड़क पर घूमते नज़र आते हैं, जिन्हें सभी इग्नोर कर आगे बढ़ जाते हैं. पर हरियाणा के पलवल में एक मनोरोगी ने केवल 2 घंटे में 6 हत्याएं कर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि खुले घूमने वाले यह मनोरोगी कभी भी जानलेवा साबित हो सकते हैं. डॉ. प्रमोद कुमार, मनोरोग विशेषज्ञ (चंडीगढ़) का कहना है कि “यह एक एंटी सोशल बीमारी है. इसमें मरीज दूसरे लोगों से खतरा महसूस करता है. वह सोचता है कि लोग उसे मारें, इससे पहले क्यों न वह लोगों को मार दे.”

दुखद है कि इन्हें पागलखाने भिजवाने या उनका इलाज कराने की दिशा में सरकारी तौर पर कोई प्रयास नहीं किए जाते. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के आंकड़ों के मुताबिक देश में मानसिक रूप से बीमार लोगों की संख्या 7 करोड़ से अधिक है. लेकिन उनका इलाज करने के लिए पूरे देश में मनोचिकित्सकों की संख्या करीब 6 हजार ही है. इन मनोरोगियों में ऐसे भी मरीज हैं जिनका इलाज संभव है. लेकिन चिंता का विषय है कि देश में मनोरोगियों के ईलाज के लिए पर्याप्त अस्पताल तक नहीं हैं. ऐसे में सभी मरीजों को समय पर सही उपचार मिलने की बात दूर की कौड़ी साबित होती है.

कई स्थानों पर लोग इन पागलों को पत्थर मारते हैं, पर पुलिस भी कुछ नहीं करती, क्योंकि उन्हें कहीं ठहराने की कोई व्यवस्था नहीं होती. देश में पागलखानों की संख्या भी नगण्य ही है. ऐसे में समस्या का समाधान कहीं नजर नहीं आता.

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