रिजवी ने लगाया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर झगडे बढ़ाने का आरोप

लखनऊ : शिया वक्फ बोर्ड ने विवादित आयोध्या मामले के फॉर्मूले को 18 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया था. जानकारी के लिए बता दें कि 5 दिसंबर से राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद पर नियमित सुनवाई होना है इससे पहले ही इस पर समझौते के जमकर प्रयास किये जा रहे हैं. इस मसले के हल के लिए आज अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि तथा शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने बैठक बुलाई और बैठक के ख़त्म होने पर रिजवी मीडिया से मुखातिब हुए. मीडिया से बात करते हुए रिजवी ने कहा कि अब बाबरी मस्जिद का निर्माण बेमतलब है. 

आगे रिजवी का कहना था के अब हम दोनों पक्ष मिलकर और आपसी सहमति से इसका कोई हल निकालना चाहता है और जिसके लिए हम आपसी सहयोग और सहमति से आयोध्या में राम मंदिर बनाने को तैयार हैं.

वहीं रिजवी का कहना है कि जब आयोध्या में मस्जिद बनाने का कोई मतलब ही नहीं तो फिर वहां मंदिर का ही निर्माण किया जाना चाहिए लेकिन, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मसौदे पर सिर्फ मतभेद बढ़ा रहा है. लेकिन हम और खून-खराबा या झगड़ा नहीं चाहते. हमने भी एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसके मुताबिक आयोध्या में तो राम मंदिर का निर्माण किया जाये और हम लखनऊ के हुसैनाबाद में मस्जिद -ए - अमन का निर्माण करेंगे. अब इस पर अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट ही देगा.

शिया वक्फ बोर्ड का कहना है उसने जो प्रस्ताव तैयार किया है उसके मुताबिक आयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाए और लखनऊ में उनके लिए एक मस्जिद बनाई जाए. और बोर्ड का कहना था कि जो मस्जिद बनाई जाए उसका नाम किसी भी शाशक के नाम पर या अन्य किसी भी नाम पर नहीं रखा जाये. जो मस्जिद बनाई जाए उसका नाम मस्जिद-ए-अमन रखा जाए. वहीं बोर्ड का कहना है कि वह अब और कत्ले आम नहीं चाहती वह चाहती है राम मंदिर और मस्जिद बनायीं जाए और दोनों ही पक्षों को अमन और चैन से रहने दिया जाये. बोर्ड के इस प्रस्ताव पर राम विलास वेदांती, गोपालदास और नरेंद्र गिरी ने भी अपना समर्थन दिया है और देश में अमन कायम करने की बात कही.

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