रोहिंग्याओं ने की 99 हिन्दुओं की निर्मम हत्या ! इसे 'अंतर्राष्ट्रीय अपराध' घोषित कर सकता है संयुक्त राष्ट्र

जेनेवा: म्यांमार में रोहिंग्या समूह द्वारा 99 हिंदुओं का नरसंहार एक अंतरराष्ट्रीय अपराध के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र (UN) के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है, जो म्यांमार में गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच कर रहे हैं। सोमवार को एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा दस्तावेजित 2017 अत्याचार के बारे में पूछे जाने पर, म्यांमार के लिए स्वतंत्र जांच तंत्र (IIMM) के प्रमुख निकोलस कौमजियन ने कहा कि "जिस घटना के बारे में आप बात कर रहे हैं, करीब 100 लोगों का नरसंहार स्पष्ट रूप से बहुत गंभीर है और एक अंतरराष्ट्रीय अपराध के रूप में योग्य हो सकता है।"

 

उन्होंने कहा कि, "हम गैर-राज्य तत्वों की कार्रवाइयों पर नज़र रख रहे हैं" और वह विशेष घटना "बहुत गंभीर और बिल्कुल ध्यान देने योग्य थी।" उन्होंने कहा कि, "जिस घटना के बारे में आप बात कर रहे हैं, हम उसके बारे में अच्छी तरह से जानते हैं," लेकिन उन्होंने आगे कहा कि, "मैं इसमें नहीं जा रहा हूं क्योंकि मैं विभिन्न कारणों से उन सभी घटनाओं को सूचीबद्ध नहीं कर सकता हूं, जिन पर हम काम कर रहे हैं।" एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बताया कि अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) ने अगस्त 2017 में म्यांमार के राखीन राज्य के अंदर 99 हिंदुओं - महिलाओं, पुरुषों और बच्चों - की हत्या कर दी और कई हिंदू ग्रामीणों का अपहरण कर लिया था। ARSA का नेतृत्व कराची में जन्मे रोहिंग्या अताउल्लाह अबू अम्मार जूनुनी के हाथ है।

बता दें कि, म्यांमार में अन्य अत्याचारों की तरह रोहिंग्या मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं के नरसंहार पर अधिक अंतरराष्ट्रीय ध्यान या व्यापक निंदा नहीं हुई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के संकट प्रतिक्रिया निदेशक तिराना हसन ने कहा कि जब संगठन ने 2018 में हिन्दुओं की हत्याओं पर रिपोर्ट जारी की, तो एमनेस्टी इंटरनेशनल के संकट प्रतिक्रिया निदेशक तिराना हसन ने कहा था कि, "जमीनी स्तर पर जांच उत्तरी राखीन राज्य के हाल के इतिहास के दौरान ARSA द्वारा बड़े पैमाने पर कम रिपोर्ट किए गए मानवाधिकारों के हनन पर बहुत जरूरी प्रकाश डालती है।" 

IMM को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा "सबसे गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराधों और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के सबूत इकट्ठा करने और आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए फाइलें तैयार करने के लिए" बनाया गया था। कौमजियन ने कहा कि IMM को म्यांमार के अंदर जांच करने की अनुमति नहीं दी गई है। चूंकि यह रोहिंग्या के खिलाफ म्यांमार द्वारा 2017 की कार्रवाई के बाद बनाया गया था, कोउमजियन ने कहा कि IMM "उन अपराधों की जांच के लिए हमारे बहुत सारे संसाधन समर्पित करता है"।

उन्होंने कहा कि, "लेकिन हमें देश भर में सबसे गंभीर अपराधों के सबूत इकट्ठा करने का भी अधिकार है और देश के विभिन्न हिस्सों, खासकर सीमावर्ती इलाकों में नागरिक आबादी के खिलाफ सेना द्वारा अपराधों का एक लंबा इतिहास है।" उन्होंने कहा कि, चूंकि 2019 में स्टेट काउंसलर आंग सान सू की के नेतृत्व वाली नागरिक सरकार को उखाड़ फेंका गया, "दुर्भाग्य से अपराधों की संख्या में वृद्धि हुई है"।

उन्होंने कहा कि, "वे लगातार बेशर्म होते जा रहे हैं, लेकिन विशेष रूप से हमने कई गांवों को जलाते हुए देखा है। नागरिक क्षेत्रों पर हवाई और अन्य बमबारी देखी है। और हमने, हमने शासन के विरोधियों की गिरफ्तारी और यातना भी देखी है और कई हवाई हमले भी देखे हैं। सैन्य बलों द्वारा व्यक्तियों को पकड़कर किसी क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के उदाहरण देखे हैं।" बता दें कि, ARSA द्वारा हिंदुओं का नरसंहार म्यांमार सुरक्षा चौकियों पर उत्तेजक ARSA हमलों के समय हुआ था, जिसके बाद म्यांमार की सेनाओं ने कहीं अधिक बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई की थी। इस जवाबी कार्रवाई के बाद रोहिंग्या म्यांमार से भाग गए थे और भारत आ गए थे, जिन्हे भारत में रखने के लिए कई राजनितिक दलों ने पुरजोर आवाज़ उठाई थी। जब केंद्र की मोदी सरकार ने इन्हे बाहर निकालने की कोशिश की, तो देशभर के विभिन्न हिस्सों में उग्र विरोध प्रदर्शन किए गए और रोहिंग्याओं को भारत से ना निकालने का दबाव डाला गया। 

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