केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि म्यांमार से रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट में जमा किए गए एफिडेविट में गृह मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रहित के लिए ये जरूरी है कि सिर्फ उन्हें ही भारत की धरती पर आने की अनुमति दी, जिसके पास वैध यात्रा दस्तावेज हो. सरकार ने जोर देकर कहा कि भारत को खुली सीमा के चलते पहले से ही घुसपैठ की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही सरकार ने दावा किया कि घुसपैठ के कारण ही देश में आतंकवाद तेजी से फैल रहा है जिसमें हजारों निर्दोष नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की मौत होती है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से रोहिंग्या शरणार्थियों की याचिका पर जवाब मांगा था जिसमें आरोप लगाया गया कि बीएसएफ शरणार्थियों को भारत में प्रवेश से रोकने के लिए हथगोलों का प्रयोग कर रहा है. लेकिन सरकार ने इन आरोपों से इंकार किया. गृह मंत्रालय ने भी कहा है कि श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों और म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमान के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती. ये भी बताया गया है कि 1964, 1974 और 1986 में भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय समझौते के मुताबिक तमिल शरणार्थियों को यहां आने की अनुमति दी गई थी. जबकि भारत और म्यांमार के बीच ऐसा कोई समझौता नहीं है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अब सोमवार को होगी. UN ने जारी की खुशहाल देशों की लिस्ट, देखें वीडियो SLvsBAN: निदहास में आज करो या मरो की टक्कर कार्यकर्ताओं को लगा योगीजी की सीट है, सब ठीक है- योगी