कृषि कानून: किसानों के भारत बंद से अलग हुआ ये किसान संघ, बताया ये बड़ा कारण

नई दिल्ली: केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब-हरियाणा के किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया हैं. 9 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच छठे दौर की बैठक होनी है. दिल्ली में एक प्रेस वार्ता में किसान नेताओं ने ऐलान करते हुए कहा कि कल सुबह से दोपहर 3 बजे तक पूरे देश में चक्का जाम किया जाएगा. इस दौरान दूध और सब्जी की आपूर्ति भी बंद करने की चेतावनी दी गई है.  

हालांकि, 8 दिसंबर यानी कल होने वाले भारत बंद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबंधित भारतीय किसान संघ ने दूरी बना ली है. भारतीय किसान संघ का कहना है कि उन्होंने इस भारत बंद से अलग होने का फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि इसमें सियासी दल जुड़ गए हैं.  भारतीय किसान संघ के अनुसार, किसान संगठनों को लोकतांत्रिक ढंग से अपनी बात सरकार के समक्ष रखनी चाहिए.   सरकार ने जो कृषि संबंधित तीन कानून लाए हैं, उसमें तीन कमियां हैं, जिसको लेकर हम सरकार को पहले से ज्ञापन सौंप चुके हैं. किसान की फसल को खरीदने के लिए तमाम व्यापारियों को एक वेबसाइट पर पंजीकृत करना होगा.

भारतीय किसान संघ ने कहा कि ये वेबसाइट भारत सरकार की निगरानी में चलेगी, जिससे कोई भी नकली कंपनी किसान की फसल को नहीं खरीद सकें, जो भी कंपनियां किसान की फसल खरीदेंगी, उनकी बैक गारंटी होनी चाहिए, जिससे फसल को खरीदने के तीन दिन बाद तक अगर उसकी पेमेंट नहीं होती हैं तो उसका भुगतान बैक करें. संघ ने कहा कि मंडी और बाहर के लिए (न्यूनतम समर्थन मूल्य) MSP एक ही हो, यानी कोई भी MSP से नीचे के दाम पर मंडी और बाहर से किसान की फसल को ना खरीद सके. हालांकि, किसान संगठन पांच कानून/बिल को वापस लेने की जिद पर अड़े हैं, जिसमें कृषि से संबंधित तीन कानून शामिल हैं.

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