नई दिल्लीः आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक बार फिर आरक्षण को लेकर बहस छेड़ दिया है। संघ प्रमुख ने कहा कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके विरूद्ध में हैं उन लोगों के बीच इस पर सद्भावपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए। मोहन भागवत ने बताया कि उन्होंने पहले भी आरक्षण पर बात की थी मगर इससे काफी हंगामा मचा और पूरी चर्चा वास्तविक मुद्दे से भटक गई। उन्होंने कहा कि आरक्षण का पक्ष लेने वालों को उन लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए जो इसके खिलाफ हैं और इसी तरह से इसका विरोध करने वालों को इसका समर्थन करने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण पर चर्चा हर बार तीखी हो जाती है जबकि इस दृष्टिकोण पर समाज के विभिन्न वर्गों में सामंजस्य जरूरी है। भागवत ये बातें ज्ञान उत्सव' के समापन सत्र में बोल रहे थे जो प्रतियोगी परीक्षाओं पर था। बता दें कि इससे पहले भी भागवत ने आरक्षण नीति की समीक्षा करने की वकालत की थी, जिस पर कई दलों और जाति समूहों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आयी थी।संघ प्रमुख ने बताया कि संघ, बीजेपी और पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार तीन अलग-अलग इकाइयां हैं और किसी को दूसरे के कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। नरेंद्र मोदी सरकार पर आरएसएस के प्रभाव की धारणा के बारे में बात करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, चूंकि भाजपा और इस सरकार में संघ कार्यकर्ता हैं, वे आरएसएस को सुनेंगे, मगर उनके लिए हमारे साथ सहमत होना जरूरी नहीं है. वे असहमत भी हो सकते हैं। दरअसल समय - समय पर आरक्षण व्यवस्था पर समीक्षा की मांग उठती रही है। वहीं आरक्षण समर्थक इस मांग को एक षडयंत्र के रूप में देखते हैं। पहलु खान हत्या मामला: सीएम गहलोत ने पूर्व की वसुंधरा सरकार को बताया जिम्मेदार तेलंगाना में टीडीपी को तगड़ा झटका, 60 बड़े नेताओं ने कार्यकर्ताओं के साथ थामा भाजपा का दामन LIVE: पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के दिल और फेफड़ों ने छोड़ा साथ, हालत बेहद नाजुक