नागपुर: वाराणसी स्थित विवादित ज्ञानवापी परिसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान सामने आया है। नागपुर में संघ के एक कार्यक्रम में गुरुवार शाम भागवत ने कहा कि, 'ज्ञानवापी का एक इतिहास है, जिसे हम बदल नहीं सकते।' उन्होंने कहा कि आज के हिंदू और मुसलमानों ने इसे नहीं बनाया है। हर दिन एक मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? झगड़ा क्यों बढ़ाना। वो भी एक पूजा है, जिसे उन्होंने अपनाया है। वो यहीं के मुसलमान हैं।' भागवत ने आगे कहा कि, वह बेशक बाहर से आई है, मगर वह भी एक पूजा-पद्धति है, और जिन्होंने अपनायी है, उन सबके पूर्वज भी हमारे ऋषि-मुनि और क्षत्रिय ही हैं। मोहन भागवत RSS के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि भारत किसी एक पूजा और एक भाषा को नहीं मानता क्योंकि हम समान पूर्वज के वंशज हैं। इस्लाम आक्रमणकारियों के माध्यम से भारत में आया तो भारत की स्वतंत्रता चाहने वाले लोगों का मनोबल कम करने के लिए हजारों देवस्थल तोड़े गए। देश का हिंदू कभी भी मुसलमानों के खिलाफ नहीं सोचता है, मगर उसे लगता है कि इनका पुनुरुद्धार होना चाहिए। भागवत ने कहा कि उन सबको स्वतंत्रता से चिर काल तक वंचित रखने के लिए, उनका मनोधैर्य दबाने के लिए इस्लामी आक्रमणकारियों ने मंदिर तोड़े, इसलिए हिंदू को लगता है कि इसका पुनरुद्धार होना चाहिए। हजारों देवस्थानों को तोड़ा गया। मगर उनमें कुछ ऐसे हैं जिनमें हिंदू समाज की विशेष श्रद्धा है। भागवत ने आगे कहा कि मुसलमानों को यह बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए कि यह उनके खिलाफ है। अच्छी बात है, ऐसा सोच के मिल-बैठ के सहमति से कोई रास्ता निकालना चाहिए। मगर हर बार रास्ता नहीं निकलता तो अदालत जाते हैं। फिर अदालत जो फैसला दे, उसको मानना चाहिए। भागवत बोले कि, 'हमने 9 नवंबर को ही कह दिया था कि राम मंदिर के बाद हम कोई आंदोलन नहीं करेंगे, मगर मुद्दे मन में हैं तो उठते हैं। ऐसा कुछ है तो आपस में मिलकर-जुलकर मुद्दा सुलझाएं।' 'बैड कैरेक्टर' पर AAP विधायक को कोर्ट से राहत नहीं, दिल्ली पुलिस ने अमानतुल्लाह को घोषित किया है 'BC' सिद्धू मूसेवाला के घर पहुंचे AAP विधायक को ग्रामीणों ने खदेड़ा, CM मान का दौरा भी हो सकता है रद्द कोरोना संक्रमित हुईं सोनिया गाँधी, पीएम मोदी ने की जल्द स्वास्थ होने की कामना