रुद्राक्ष शब्द सनातन धर्म से जुड़ा है। रुद्राक्ष वृक्ष एवं बीज दोनों ही रुद्राक्ष कहलाते हैं। संस्कृत में, रुद्राक्ष का मतलब रुद्राक्ष फल के साथ-साथ रुद्राक्ष का वृक्ष भी है। रुद्राक्ष का वृक्ष नेपाल, इंडोनेशिया, जावा, सुमात्रा एवं बर्मा के पहाड़ों और पहाड़ी इलाकों में उगता है। इसके पत्ते हरे रंग के एवं फल भूरे रंग के एवं स्वाद में खट्टे होते हैं। रुद्राक्ष के फल आध्यात्मिक मूल्यों की वजह से मनुष्य को भी सुशोभित करते हैं। प्राचीन भारतीय शास्त्रों के मुताबिक, रुद्राक्ष महादेव की आंखों से विकसित हुआ है, इसलिए इसे रुद्राक्ष बोला जाता है। रुद्र का मतलब है महादेव एवं अक्ष का मतलब है आंखें शिव पुराण में रुद्राक्ष की उत्पत्ति को महादेव के आंसू के तौर पर वर्णित किया गया है। सभी मनुष्यों के कल्याण के लिए कई सालों तक ध्यान करने के पश्चात् जब महादेव ने अपनी आंखें खोलीं, तो आंसुओं की बूंदें गिरी एवं धरती मां ने रुद्राक्ष के वृक्षों को जन्म दिया। रुद्राक्ष शरीर में शक्ति पैदा करता है, जो बीमारियों से लड़ता है जिससे सेहत में सुधार होता है। आयुर्वेद के मुताबिक, रुद्राक्ष शरीर को मजबूत करता है। ये रक्त की अशुद्धियों को दूर करता है। ये मानव शरीर के भीतर के साथ-साथ बाहर के बैक्टीरिया को भी दूर करता है। रुद्राक्ष सिर दर्द , खांसी , लकवा, ब्लड प्रेशर तथा हृदय रोग से संबंधी दिक्कतों को दूर करता है। वही रुद्राक्ष को धारण करने से फेस पर चमक आती है, जिससे व्यक्तित्व शांत एवं आकर्षक होता है। जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जाता है। जप की प्रक्रिया जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए आध्यात्मिक शक्ति एवं आत्मविश्वास को बढ़ाती है। इसलिए रुद्राक्ष के बीज स्वास्थ्य लाभ एवं आध्यात्मिक लाभ प्रदान करने के लिए फलदायी हैं। शनिवार के दिन करें पीपल से जुड़े ये उपाय, मिलेगा हर कष्ट से छुटकारा सूर्य है कमजोर तो करें गुड़ के ये सरल उपाय, सभी समस्याओं से मिलेगा निजात भारत को 'विश्वगुरु' बनाने के लिए मोहन भागवत ने कही ये बात