अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए गिरते ही जा रहा है। यह परंपरा चलते हुए रुपए डॉलर के मुकाबले 14 पैसा और गिर गया है। इस शुक्रवार को रुपए 18 पैसे गिरकर पहली बार 86.04 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था। इसी के साथ यह अब तक के सबसे नीचले स्तर पर पहुँच गया है। फोरेक्स व्यापारियों के मुताबिक, विदेशी देशों में कच्चे तेल में बढ़ती कीमत और बाजारों में नकारात्मक धारणा होने के वजह से भी भारतीय रुपए पर बुरा असर पड़ा है। इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिका के नए राष्ट्रपति बनने के बाद उनके प्रशासन द्वारा व्यापारों में कई बैन लग सकते है। इससे डॉलर की मांग भी बढ़ी है। इसी वजह से रुपए में बुरा असर पड़ते हुए उसमे गिरावट आई है। साथ ही, विदेशी निवेशकों का भारत से अपनी पूंजी निकालकर बाहर निवेश करने से भी देश की करेंसी पर दबाव बढ़ गया है। भारत विदेशों से कच्चे तेल और सोने को इम्पोर्ट कर रहा है, जिससे डॉलर की मांग बढ़ी है और रुपया कमजोर हो गया है। इसके अलावा भारत का एक्सपोर्ट अभी बहुत कम है, जिस दिन देश का एक्सपोर्ट ज्यादा हो जाएगा उस दिन से रुपए की मांग भी बढ़ जाएगी। विदेशी भंडार में भी बहुत कमी आ गई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रुपए की कीमत स्थिर रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का काफी उपयोग कर रहा है। रुपये की मांग स्थिर बनी रहे, इसलिए रिजर्व बैंक ने डॉलर की सप्लाई बढ़ा दी है। ये ही वजह है की देश के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 3 जनवरी 2025 को सप्ताह समाप्त होने के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में करीबन 60 लाख अमेरिकी डॉलर की कमी हुई है। रुपए में आई गिरावट का असर सरकार के साथ साथ आम जनता पर भी पड़ेगा। रुपए में गिरावट होने पर इम्पोर्ट में महंगाई आ जाती है। वहीं, एक्सपोर्ट सस्ता हो जाता है। इसका मतलब सरकार विदेशी सामान खरीदने के लिए ज्यादा खर्चा करती है। फिर चाहे वह तेल, सोना और फल ही क्यों न हो, भारत की जनता को सब महंगा मिलता है। उद्धरण स्वारूप, भारत 80 प्रतिशत कच्चे तेल को विदेश से इम्पोर्ट करता है। क्यूंकि, रुपए डॉलर के मुकाबले कमज़ोर है इसलिए तेल में इम्पोर्ट टैक्स भी ज्यादा लगता है। ज्यादा इम्पोर्ट टैक्स लगने के वजह से देश में मिलने वाले पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ते है। जिसे जनता को महंगाई के रूप में झेलना पड़ता है। महंगाई के अलावा इसका बुरा असर शिक्षा के रूप में भी पड़ता है। भारत में ऐसे बहुत से छात्र है जो बाहर जाकर पढ़ना चाहते है। ऐसे में उन्हें अपनी पढाई की फीस डॉलर में देनी होती है। अब क्यूंकि डॉलर के मुकाबले रुपए कमज़ोर है, इसलिए उन्हें खर्चा भी ज्याद करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में ऐसे बहुत से बुद्धिमान और होशियार छात्र है, जिन्हे अपने भविष्य से समझौता करना पड़ता है। इसके अलावा अगर आप विदेश में अपनी छुट्टियां व्यतीत करना चाहते हो, तो आपकी जेब में भी भारी असर पड़ेगा। वहीं बात करे की रुपए में आई गिरावट से किसे लाभ होता है, तो इससे अमेरिका के साथ उन देशों को फायदा होगा जो भारत को चीजें एक्सपोर्ट करते हैं। क्यूंकि, ज्यादातर विदेशी देश अमेरिका डॉलर में अपना कारोबार करते हैं।