नई दिल्ली: भारतीय रुपया की स्थिति लगातार बद से बदतर होती जा रही है। डॉलर के मुकाबले रुपया शुरुआती कारोबार में 16 पैसे की गिरावट के साथ अब तक के सबसे निचले स्तर 82.33 पर आ गया है। पिछले सत्र में रुपया 81.88 पर बंद हुआ था। बता दें भारत आवश्यक इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी सहित कई दवाओं का भारी मात्रा में इम्पोर्ट करता है। ज्यादातर मोबाइल और गैजेट का इम्पोर्ट चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता है। यदि रुपये में इसी प्रकार गिरावट जारी रही, तो आयात महंगा हो जाएगा और आपको अधिक खर्च करना होगा। भारतीय कंपनियां विदेश से सस्ती दरों पर भारी मात्रा में कर्ज जुटाती हैं। जब रुपया कमजोर होता है, तो भारतीय कंपनियों के लिए विदेश से कर्ज जुटाना महंगा हो जाता है। इससे उनकी लागत बढ़ जाती है, जिससे वह कारोबार के विस्तार की योजनाओं को स्थगित कर देती हैं। इससे देश में रोजगार के अवसर घट सकते हैं। बता दें कि, विदेश में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों को आवास, कॉलेज फीस,, भोजन और परिवहन सबके लिए डॉलर में खर्च करना होता है। ऐसे में रुपये के कमजोर होने से उन छात्रों को पहले के मुकाबले अधिक पैसा खर्च करना होगा। '28 अक्टूबर तक Twitter डील पूरी करें एलन मस्क..', कोर्ट का आदेश इस बैंक ने ग्राहकों को दिया तोहफा, किया ये बड़ा ऐलान 'सियासी दलों के मुफ्त उपहार देना अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक..', SC के बाद अब SBI ने चेताया