प्रमुख रेटिंग एजेंसी S&P Global Ratings ने एक अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 5.2 फीसद कर दिया गया है। इसके साथ ही एजेंसी ने इससे पहले देश की आर्थिक वृद्धि का अनुमान 6.5 फीसद पर रखा था। वहीं रेटिंग एजेंसी का कहना है कि कोरोनावायरस के फैलने के कारण दुनियाभर की इकोनॉमी प्रभावित हुई है। इसके साथ ही S&P Global Ratings ने COVID-19 वायरस की वजह से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कुल 620 अरब डॉलर का नुकसान होने की आशंका जाहिर की है। हर सेक्टर को नुकसान की आशंका एजेंसी ने कहा है, 'सॉवरेन, बैंक, कॉरपोरेट और हाउसहोल्ड से जुड़े सेक्टर्स में ये नुकसान होने की आशंका है।' फिलहाल , एजेंसी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्षेत्र के किस देश को Coronavirus की वजह से कितना नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि उसने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न देशों की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर, महंगाई दर और नीतिगत ब्याज दर से जुड़े अपने अनुमानों को संशोधित किया है। वहीं S&P ने 2020-21 में वृद्धि दर के अनुमान को पूर्व के 6.5 फीसद से घटाकर 5.2 फीसद कर दिया है। इसके बाद के साल यानी 2021-22 में रेटिंग एजेंसी को लगता है कि भारत की वास्तविक विकास दर 6.9% पर रहेगी। इसके साथ ही वर्तमान वित्त वर्ष के लिए रेटिंग एजेंसी ने वास्तविक विकास दर के अनुमान को पांच फीसद पर रखा है। वहीं, एजेंसी के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में देश की GDP Growth सात फीसद पर रह सकती है। मुद्रास्फीति में कमी का अनुमान एजेंसी का मानना है कि अगले वित्त वर्ष में औसत महंगाई दर इस साल के 4.7 फीसद से घटकर 4.4 फीसद रह सकती है । रेटिंग एजेंसी के मुताबिक मुद्रास्फीति की दर 2021-22 में घटकर 4.2% रह जाएगी। फिलहाल , 2022-23 में इसके बढ़कर 4.4 फीसद और उसके बाद के वित्त वर्ष में 4.5 फीसद पर पहुंच जाने का अनुमान है। कोरोना के खौफ के चलते सुप्रीम कोर्ट का ऐलान, कहा- जेल से रिहा किए जाएं कैदी सुप्रीम कोर्ट पर भी 'कोरोना' का असर, अब वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए होगी सुनवाई विश्व मौसम विज्ञान दिवस : हवा की बदलती दिशा, मौसम में आया परिवर्तन