इन विवादों ने एस. श्रीसंत का क्रिकेट करियर किया हमेशा के लिए समाप्त

आज यानी 6 फरवरी को तेज गेंदबाज एस. श्रीसंत अपना 35वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर हम एस. श्रीसंत के जीवन से जुड़ी अहम जानकारी देने जा रहे है. भारत में क्रिकेट को धर्म और सचिन को भगवान का दर्जा तो प्राप्त है, लेकिन इस खेल के संचालन के लिए बने बोर्ड को सरकारी मान्यता नहीं है. लिहाजा कई बार इस बोर्ड पर भष्ट्राचार और भाई-भतीजावाद चलाने का आरोप लगता है. क्रिकेट के संचालन और प्रबंधन के लिए बने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के काम-काज में पारदर्शिता लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने लोढा समिति का गठन किया. जिसके बाद बोर्ड की कार्यप्रणाली में सुधार होने की बात की जा रही है. हालांकि इन सबके बावजूद बोर्ड ने भारतीय प्रतिभाओं को दुनियाभर में स्थान दिलाने और पहुंचाने के लिए जो किया, वो सराहनीय है. लेकिन कई ऐसी घटनाएं भी है, जिसमें बोर्ड और खिलाड़ी के बीच लंबी कानूनी लड़ाई चली है. 

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि श्रीसंत का जन्म 6 फरवरी 1983 को केरला में हुआ था. इन्होंने 25 अक्टूबर साल 2005 में श्रीलंका के खिलाफ अपना डेब्यू वनडे क्रिकेट से किया था. साल 2007 में हुए पहले टी-20 विश्व कप में श्रीसंत ने भारत को जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई थी.फाइनल मैच के अंतिम ओवर में मिस्बाह उल हक का कैच श्रीसंत ने ही पकड़ा था. जिसके खिलाफ श्रीसंत निचली अदालत से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.

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लंबे समय से श्रीसंत का करियर विवादों से भरा रहा है. उनपर फिक्सिंग, गैर जिम्मेदाराना व्यवहार और अन्य कई विवादों के आरोप लगे हैं. साल 2008 में आईपीएल मैच के दौरान पूर्व भारतीय गेंदबाज और उस समय मुंबई इंडियन के कप्तान हरभजन सिंह ने श्रीसंत को थप्पड़ मारा. उस समय हुई इस घटना के बाद काफी विवाद भी देखने को मिलें. उसके बाद उन पर साल 2013 में आईपीएल में मैच फिक्सिंग का आरोप भी लगा.

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