नई दिल्ली: सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की मांग को लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस पर अपना पक्ष रखते हुए त्रावणकोर राजघराने के वकील राधा कृष्णन ने अदालत के सामने दलील रखी कि ये याचिका हिन्दू धर्म की मर्यादा भंग करने के लिहाज से दाखिल की गई है. राधाकृष्णन ने कहा कि अदालत को इस तरह के धार्मिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए. थाने में गिरफ़्तारी देने पहुंचे दिग्विजय, मचा बवाल इसके जवाब में शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने जवाब देते हुए कहा कि यह महिलाओं के अधिकार का मामला है, इसलिए हम धार्मिक पहलुओं पर नहीं बल्कि केवल संवैधानिक पहलुओं पर ही मामले की सुनवाई करेंगे. इससे पहले राधाकृष्णन ने अदालत के सामने, सबरीमाला मंदिर जाने से पहले रखे जाने वाले 41 दिन के व्रत के बारे में बताते हुए कहा कि ये सब मंदिर के रिवाज के अंतर्गत आता है. ममता का बंगाल अब बनने जा रहा है 'बांग्ला', यह है वजह उन्होंने कहा कि सिर्फ अय्यपा मंदिर ही नहीं देश के कई सारे मंदिरों में अलग-अलग तरह के रीती रिवाज का पालन किया जाता है. राधाकृष्णन के अलावा मुख्य पुजारी की तरफ से हाईकोर्ट के पूर्व जज और वरिष्ठ वकील वी गिरी ने अदालत से कहा कि हिन्दुओं में हर देवता की पूजा का एक अलग तरीका होता है, जो शास्त्र में वर्णित है. उन्होंने कहा कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश कि अनुमति मांगने वालों को यह बात ध्यान रखना चाहिए कि अय्यपा स्वामी ब्रम्हचारी हैं. खबरें और भी:- सबरीमाला मंदिर: अगली सुनवाई 24 जुलाई को सबरीमाला जाना महिलाओं का अधिकार- सुप्रीम कोर्ट SATIRE: देश में भुखमरी के बीच विदेश को गाय का दान