तुलसी के पत्तो के बिना अधूरा होता भगवान का प्रसाद

अधिकांश लोग रोजाना विधि-विधान से भगवान की पूजा भले ना करें, लेकिन अपने घर में भगवान को प्रसाद जरूर चढ़ाते है. इसके पीछे यह कारन है की गीता में श्री कृष्ण जी ने कहा है की अगर कोई व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक भोग अर्पण करता है तो मैं उसे सहर्ष स्वीकार कर लेता हूँ.हमे जो भी भोजन प्राप्त होता है वह भगवान की कृपा से  प्राप्त होता है इसलिए उसे भगवान को अर्पित करना ज़रूरी होता है.भगवान के  प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए ही भगवान को भोग लगाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भोग लगाने के बाद ग्रहण किया गया अन्न दिव्य हो जाता है, क्योंकि उसमें तुलसी के पत्ते होते है. 

1-भगवान को प्रसाद चढ़े और तुलसी के पत्ते न हो तो भोग अधूरा ही माना जाता है. तुलसी को परंपरा से भोग में रखा जाता है.ऐसी भी मान्यता है कि भगवान को प्रसाद चढ़ाने से घर में अन्न के भंडार हमेशा भरे रहते हैं और कोई कमी नहीं आती है.      2-इसका एक कारण तुलसी दल का औषधीय गुण है. एकमात्र तुलसी में यह खूबी है कि इसका पत्ता रोगप्रतिरोधक होता है. यानि कि एंटीबायोटिक है. इस तरह तुलसी स्वास्थ्य देने वाली है. तुलसी का पौधा मलेरिया के कीटाणु खत्म करता है. तुलसी के स्पर्श से भी रोग दूर होते हैं.

3-तुलसी पर किए गए प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि ब्लड प्रेशर और डाइजेशन के नियमन व मानसिक रोगों में यह लाभकारी है. इसलिए भगवान को भोग लगाने के साथ ही उसमें तुलसी डालकर प्रसाद ग्रहण करने से भोजन अमृत रूप में शरीर तक पहुंचता है.

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