मनोरंजन जगत से बुरी खबर सामने आई है. लेजेंडरी सिंगर पंकज उधास का निधन हो गया है. 72 साल की आयु में उन्होंने आखिरी सांस ली. पंकज की बेटी नायाब उधास ने गायक की मौत की खबर शेयर की है. ये न्यूज पता चलने के बाद म्यूजिक जगत में मातम पसरा हुआ है. पंकज जैसे गजल गायक का यूं दुनिया छोड़ जाना प्रशंसकों को गमगीन कर गया है. हर कोई सोशल मीडिया पर नम आंखों से सिंगर को अंतिम श्रद्धांजलि दे रहा है. पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था। वो अपने तीनों भाइयों में सबसे छोटे थे। उनका परिवार राजकोट के पास चरखाड़ी नाम के एक कस्बे का रहने वाला था। उनके दादा जमींदार थे तथा भावनगर प्रदेश के दीवान भी थे। उनके पिता केशुभाई उधास सरकारी कर्मचारी थे, उन्हें इसराज बजाने का बहुत शौक था। वहीं उनकी मां जीतूबेन उधास को गानों का बहुत शौक था। यही कारण था पंकज उधास सहित उनके दोनों भाइयों का रुझान संगीत की ओर हमेशा से रहा। पंकज ने कभी नहीं सोचा था कि वो अपना करियर गायिकी ने बनाएंगे। उन दिनों भारत एवं चीन के बीच युद्ध चल रहा था। इसी के चलते लता मंगेशकर का ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना रिलीज हुआ था। पंकज को ये गाना बेहद पसंद आया। उन्होंने बिना किसी की सहायता से इस गाने को उसी लय और सुर के साथ तैयार किया। एक दिन स्कूल के प्रिंसिपल को पता चला कि वो गायिकी में बेहतर हैं, तत्पश्चात, उन्हें स्कूल प्रेयर टीम का हेड बना दिया गया। एक बार उनके कॉलोनी में माता रानी की चौकी बैठी थी। रात में आरती-भजन के बाद वहां पर कल्चरल प्रोग्राम होता था। इस दिन पंकज के स्कूल के टीचर आए तथा उन्होंने कल्चरल प्रोग्राम में पंकज से एक गाने की फरमाइश की। पंकज ने ऐ मेरे वतन के लोगों गाना गया। उनके इस गीत से वहां बैठे सभी लोगों की आंखें नम हो गईं। उन्हें जमकर वाहवाही भी मिली। दर्शकों से एक आदमी ने खड़े होकर उनके लिए ताली बजाई तथा इनाम के रूप में उन्हें 51 रुपए दिए। वही पंकज के दोनों भाई मनहर एवं निर्जल उधास म्यूजिक इंडस्ट्री में जाना-पहचाना नाम हैं। इस घटना के बाद पेरेंट्स को लगा कि पंकज भी अपने भाइयों की भांति म्यूजिक फील्ड में कुछ बेहतर कर सकते हैं, जिसके बाद पेरेंट्स ने उनका एडमिशन राजकोट में संगीत एकेडमी में करा दिया। वहां पर कोर्स पूरा करने के पश्चात् पंकज कई बड़े स्टेज शो पर परफॉर्मेंस करते थे। वो अपने भाईयों के जैसे ही बाॅलीवुड में जगह बनाने चाहते थे। इसके लिए उन्हें 4 वर्ष का लंबा संघर्ष किया। इसी के चलते उन्हें कोई बड़ा काम नहीं मिला। उन्होंने फिल्म कामना में अपने एक गाने को आवाज दी थी, मगर वो फिल्म फ्लॉप हो गई, जिस कारण उन्हें भी कोई विशेष लोकप्रियता नहीं मिली। काम नहीं मिलने से दुखी होकर उन्होंने विदेश जाकर रहने का फैसला किया। 'मैं उसे जान से मारने ही जा रहा था', आखिर क्यों स्विगी के डिलीवरी ब्वॉय पर भड़के रोनित रॉय? नव्या नवेली ने बांधे आराध्या बच्चन के तारीफों के पूल, बोली- 'वो मुझसे ज्यादा समझदार है' नहीं रहे नेशनल अवॉर्ड विनर फिल्ममेकर कुमार साहनी, 83 साल की उम्र में ली अंतिम सांस