उज्जैन। औरंगाबाद से 1100 किमी की पदयात्रा कर महाकाल के आंगन को पवित्र बनाने की मांग पर अड़े संत कमलमुनि महाराज राजस्व कालोनी से पैदल विहार कर अनुयायियों के साथ शिप्रा तट पहुंचे। मां शिप्रा के जल का आचमन करने के बाद वे धरने पर बैठ गए। उनके साथ आधा दर्जन संत भी थे, सभी ने तय किया कि जब तक शहर को पवित्र घोषित नहीं किया जाएगा, तब तक वे धरने पर बैठे रहेंगे। महाराजश्री की हठधर्मिता की खबर जैसे ही प्रशासनिक अधिकारियों को लगी एसडीएम क्षीतिज शर्मा, सीएसपी मलकितसिंह, नगर निगम उपायुक्त सुनील शाह, सहायक आयुक्त सुबोध जैन सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और महाराज को बताया कि शहर के बाहरी इलाकों में कारर्वाई जारी है। मांस की दुकानें हटाई जा रही है। कुछ दिनों बाद महाकाल क्षेत्र की दुकानें भी हटाई जाएगी, अभी कागजी कार्रवाई चल रही है। संत कमल मुनि महाराज अधिकारियों की बात मानने को तैयार नहीं थे, उनका कहना था कि लिखित में प्रशासन मुझे दें, कि कितने दिनों में शहर पवित्र घोषित हो जाएगा। मांस-मदिरा की दुकानें हटा दी जाएगी, कत्लखाने हटा दिए जाएंगे। महाराजश्री के तेवर देखने के बाद एसडीएम क्षीतिज शर्मा ने कहा कि हम आपको आश्वासन दे सकते हैं, लिखित में तो वरिष्ठ अधिकारी ही दे पाएंगे। अधिकारियों ने जब अपनी मजबूरी बताई तो महाराजश्री के तेवर नरम हुए और तय किया गया कि कलेक्टर संकेत भोंडवे और एसपी मनोहरसिंह वर्मा को बुलाकर उनसे चर्चा की जाएगी। अगर पवित्र शहर को लेकर बात नहीं बनी तो राष्ट्रसंत कमलमुनि महाराज अपने अनुयायियों के साथ शिप्रा के तट पर धरना दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे कानपुर जाना है, लेकिन प्रशासन आश्वासन नहीं देता है तो आगे का कार्यक्रम निरस्त कर यहीं डटा रहूंगा। गाय पवित्र नगरी से बाहर तो कत्लखानें क्यों नहीं?