नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर में जारी पहलवानों के धरना प्रदर्शन ने अब किसान आंदोलन वाले नेता भी पहुँचने लगे हैं। राकेश टिकैत ने पहलवानों के समर्थन का ऐलान कर दिया है। वहीं, अब पहलवान द्वारा फर्जी तस्वीरों का इस्तेमाल कर आंदोलनकारी किसानों के प्रति समर्थन दिखाने की कोशिश की गई है, इस स्वर्ण पदक विजेता पहलवान का नाम है साक्षी मलिक। वहीं, साक्षी मलिक द्वारा फैलाई गई इन फर्जी तस्वीरों को फ़ैलाने में उनकी मदद की है आरजे सायमा ने। गौर करने वाली बात ये भी है, सोशल मीडिया पर वैसे तो हज़ारों फर्जी चीज़ें और जानकारियां फैलती रहती हैं, लेकिन उनको दुरुस्त कर लोगों के सामने सच पेश करने का काम कथित फैक्ट चेकर्स (Fact Checker) का होता है। पर आपको जानकर हैरानी होगी कि, ये तथाकथित फैक्ट चेकर भी किसी पोस्ट को चेक करने से पहले ये चेक करते हैं, कि वो इनके एजेंडे में फिट बैठता है या नहीं ? अगर एजेंडे में फिट न हो, तो वे उस झूठ को फैलने देते हैं। जैसे साक्षी मलिक का ट्वीट ही देख लो। लेकिन, मोहम्मद ज़ुबैर, सबा नकवी, जैसे लोगों ने साक्षी मलिक द्वारा पोस्ट की गई तस्वीरों का सच बताना जरूरी नहीं समझा, उल्टा AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, आरजे सायमा तो इन्हे और अधिक फ़ैलाने लगे, तो खुद सोशल मीडिया यूज़र्स को ही इसका 'फैक्टचेक' करना पड़ा। दरअसल, ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वालीं पहलवान साक्षी मलिक ने बुधवार 7 जून को एक ट्वीट किया था, जिसमे उन्होंने कुछ तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा था कि, 'किसानों ने सिर्फ़ अपनी फसलों की एमएसपी माँगी थी। लेकिन क्रूर तंत्र ने उन्हें लाठियाँ और गिरफ़्तारियाँ दीं। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी की गिरफ़्तारी की हम निंदा करते हैं, उनकी जल्द रिहाई हो। आंदोलन में शहीद हुए किसान की खबर ने आँखें नम कर दी हैं।' हालाँकि, किसानों के प्रति समर्थन जताना ठीक है, लेकिन उन्होंने जो तस्वीरें शेयर की हैं, वो 2019 की हैं। जिसमे एक पगड़ीधारी किसान के शरीर पर कई जख्म नज़र आ रहे हैं, वहीं एक अन्य शख्स का चेहरा लहूलुहान है। इसके जरिए यह बताने की कोशिश की गई थी कि, पुलिस ने किसानों को कितनी बेरहमी से मारा है। जबकि यह तस्वीर वर्ष 2019 में सड़क पर पुलिस से भिड़ने वाले एक सिरफिरे व्यक्ति की है। बता दें कि, हरियाणा में सूरजमुखी की खरीद MSP पर करने के लिए किसानों की मांग जारी है, जिसको लेकर किसान प्रदर्शन भी कर रहे हैं। करनाल में भी किसान दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे NH-44 पर बसताड़ा टोल के पास नजदीक धरना प्रदर्शन करने पहुंचे थे, यहां पुलिस ने पहले किसानों को समझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने तो उन्हें हिरासत में लिया गया। हालाँकि, शाम को पुलिस ने उन्हें रिहा भी कर दिया। वहीं, मंगलवार को जम्मू-दिल्ली हाईवे जाम करने पर पुलिस ने किसानों को बलपूर्वक खदेड़ा था। जिसके बाद भाकियू अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी सहित 150 किसानों को हिरासत में लिया गया। इन्ही चढूनी की रिहाई की मांग करते हुए साक्षी मलिक ने ट्वीट किया है, लेकिन चढूनी ने खुद जमानत लेने से इंकार कर दिया है। बात किसानों के समर्थन और चढूनी की रिहाई की मांग तक तो समझ आती है, लेकिन 2019 की तस्वीरें शेयर कर ये बताने की कोशिश करना कि, पुलिस ने बर्बर तरीके से किसानों को मारा है, ये सरासर गलत है। WTC Final: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रोहित शर्मा की कप्तानी पर भड़के गांगुली, बोले- यदि मैं कैप्टन रहता तो... 'टीम इंडिया का ये फैसला मेरी समझ से बाहर..', WTC फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को मिली बढ़त, तो रोहित शर्मा पर भड़के गावस्कर Wrestlers Protest: बृजभूषण सिंह के खिलाफ 180 लोगों से हुई पूछताछ, अगले हफ्ते कोर्ट में रिपोर्ट जमा करेगी SIT