फिल्म: सलाम वेंकी स्टार: 3/5 कलाकार : काजोल, विशाल जेठवा, प्रकाश राज, राहुल बोस, राजीव खंडेलवाल, आहना कुमरा निर्देशक : रेवती 'सलाम वैंकी' एक ऐसे आम इंसान की कहानी है, जो उसे हर मामले में खास बना देती है। 24 साल के वेकेंटेश को यह बात बचपन से पता थी कि दरवाजे के बाहर खड़ी मौत उसका इंतजार कर रही है। साल 2005 में पब्लिश हुई श्रीकांत मूर्ति की नॉवेल 'द लास्ट हुर्रे' पर आधारित यह फिल्म कोलावेणु वेंकेटेश (Kolavennu Venkatesh) की कहानी है। वेंकेटेशन अका वेंकी मेडिकल टर्म में कहा जाए, तो डीएमडी(Duchenne Muscular Dystrophy) जैसी रेयर बीमारी से ग्रसित है। जिसमें 16 से 17 तक ही इंसान जी पाता है लेकिन वेंकी की इच्छाशक्ति उसे 24 साल तक पहुंचा देती है। हालांकि अपनी मौत के आखिरी पड़ाव के दौरान वेंकी इच्छा मृत्यु के लिए कोर्ट से दरख्वास्त करता है। 2023 में शादी करेंगे सिद्धार्थ-कियारा, सामने आई गेस्ट लिस्ट! कहानी- साल 2005 के बैकड्रॉप में बुनी कहानी है कोलावेणु वेंकेटेश यानी वेंकी(विशाल जेठवा) की, जो डीएमडी बीमारी की वजह से अस्पताल में आखिरी सांस ले रहा है। उसकी मां सुजाता(काजोल) पल-पल अपने मरते बेटे को देखने के बावजूद मजबूती से इस सच्चाई का सामना कर रही है। वहीं जिंदगी के आखिरी क्षण में वो मां से इच्छा मृत्यु की मांग करता है। जी दरअसल वेंकी की चाहत है कि उसकी मौत के बाद बॉडी के सारे ऑर्गेन डोनेट कर दिए जाए, जो जरूरतमंदों के काम आ सके। हालांकि हमारे देश का कानून इसकी गवाही नहीं देता है। जी हाँ और देश में इच्छा मृत्यु क्राइम माना जाता है। ऐसे में एक मां का अपने बेटे की आखिरी ख्वाहिश को पूरी करने के लिए क्या-क्या करती है यह फिल्म की पूरी कहानी है। डायरेक्शन- एक्ट्रेस रेवती ने इस फिल्म से लगभग 14 साल बाद डायरेक्शन में वापसी कर रही हैं। जी हाँ और रेवती ने इस फिल्म के जरिए एक ऐसे यूनिवर्सल इमोशनल सब्जेक्ट का चयन किया है, जिससे हर कोई जुड़ा हुआ महसूस कर सके। आपको बता दें कि एक सच्ची कहानी को पर्दे पर पूरी सेंसेटिविटी के साथ पेश करने का उनका यह सहासिक कदम सराहनीय है। जिस मिजाज की फिल्मों के लिए रेवती पहचानी जाती हैं, वो फ्लेवर भी इस फिल्म में दिखता है। आपको बता दें कि फिल्म शुरू होते ही आपको एक इमोशनल राइड पर लेकर जाती है। फिल्म में कई ऐसे सीन्स हैं, जिसे देखकर आप अपने आंसू नहीं रोक पाते हैं और कुछ ऐसे भी शॉट्स हैं जो जिंदगी जीने का एक अलग नजरिया दिखाते हैं। इस तरह शुरू हुई थी कैटरीना और विक्की की लवस्टोरी, पढ़कर खुश हो जाएंगे आप अभिनय- काजोल ने अपने कई इंटरव्यूज में कहा है कि इस फिल्म के लिए उनके अंदर की एक्ट्रेस ने नहीं बल्कि एक मां ने हामी भरी है। जी हाँ और इसी के चलते आप पूरी फिल्म में सुपरस्टार काजोल को नहीं बल्कि एक स्ट्रॉन्ग मां को देख सकते हैं। मां के रूप में काजोल की जबरदस्त परफॉर्मेंस रही। कभी टूटती तो कभी संभलती काजोल हर फ्रेम पर कमाल कर जाती हैं। दूसरी तरफ वेंकी के रूप में विशाल जेठवा ने भी उनके टक्कर की परफॉर्मेंस दी है। जी हाँ, करियर की शुरूआत में विशाल की ऐसी परफॉर्मेंस आने वाले समय में उनके लिए कई रास्ते खोलने वाली है। पेशेंट बने विशाल को देखकर आप कन्विंस हो जाते हैं कि उन्हें डीएमडी जैसी गंभीर लाइलाज बिमारी है। आपको बता दें कि इस फिल्म में डॉक्टर बने राजीव खंडेलवाल भी मजबूती से अपनी मौजूदगी दर्ज करा जाते हैं। आमिर खान का किरदार यहां सरप्राइज के रूप में है, इसलिए ज्यादा खुलासा नहीं किया जा सकता है। कम समय के लिए ही सही लेकिन आमिर जब भी स्क्रीन पर आते हैं, अपनी सशक्त अभिनय से दिल जीत लेते हैं। वहीं वकील के रूप में राहुल बोस का काम डिसेंट रहा है। इसके अलावा जर्नलिस्ट बनीं आहना ने भी अपना काम पूरी ईमानदारी से किया है। प्रकाश राज बहुत कम समय के लिए आए हैं लेकिन दमदार लगे हैं। ऐसा कहा जा सकता है सभी का अभिनय दमदार रहा। क्यों देखे- मौत की सच्चाई से हम सभी वाकिफ हैं लेकिन इसको अपनाने से सभी कतराते जरूर हैं। जिंदगी छोटी नहीं बड़ी होनी वाली बात को समझना है, तो इस फिल्म को एक मौका जरूर दें। मां-बेटे के इमोशनल बॉन्डिंग पर भी कहानी काफी कुछ कहती है। ऐसे में आप परिवार संग इसे देख सकते हैं। कैमरे के सामने टीना दत्ता ने मांगी घर जाने की भीख, कही ये बड़ी बात होने जा रही है शादी तो मेकअप बॉक्स में रखना ना भूले ये चीजें 'मुझे पैनिक अटैक्स आने लगे...', पंजाब की ऐश्वर्या राय ने किए हैरतंअगेज खुलासे