उद्धव सेना को बाबरी गिराने पर गर्व..! दावे के बाद MVA से बाहर निकली सपा

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर तब देखने को मिला जब समाजवादी पार्टी (सपा) ने महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया। यह फैसला शिवसेना (यूबीटी) के एक नेता की बाबरी मस्जिद को लेकर की गई पोस्ट के चलते हुआ  शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और उद्धव ठाकरे के करीबी माने जाने वाले मिलिंद नार्वेकर ने हाल ही में बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़ी एक तस्वीर पोस्ट की थी।

इस तस्वीर में बाल ठाकरे का कथन भी लिखा था, जिसमें उन्होंने बाबरी विध्वंस को लेकर गर्व जताया था। साथ ही, इस पोस्ट में उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे की तस्वीरें भी थीं। इस पोस्ट के बाद से ही सपा ने शिवसेना (यूबीटी) से गठबंधन तोड़ने का निर्णय लिया।  महाराष्ट्र में सपा के प्रमुख अबू आजमी ने इस पोस्ट को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बयानों में अब कोई अंतर नहीं रह गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि शिवसेना की तरफ से बाबरी विध्वंस की तारीफ करते हुए अखबार में विज्ञापन भी दिया गया था, जो मुसलमानों की भावनाओं को आहत करता है।  

महाविकास अघाड़ी गठबंधन, जिसमें शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी शामिल हैं, ने हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 46 सीटें जीती थीं। सपा ने इस गठबंधन के तहत दो सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन चुनाव परिणाम के महज एक महीने बाद ही यह गठबंधन टूटने के कगार पर पहुंच गया है।  चुनाव में करारी हार के बाद शिवसेना (यूबीटी) ने अपने हिंदुत्व के एजेंडे को अधिक मुखरता से उठाना शुरू कर दिया है। पार्टी ने बाबरी विध्वंस को ऐतिहासिक बताते हुए बाल ठाकरे की भूमिका को अहम बताया है। हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम पर शिवसेना (यूबीटी) की ओर से सपा के फैसले को लेकर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।  

दूसरी ओर, सपा ने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से सांप्रदायिक सौहार्द्र और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के पक्ष में खड़ी रही है। महाराष्ट्र में सपा की कमान अबू आजमी के हाथों में है, जो मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से विधायक हैं। उनकी पार्टी को मानखुर्द शिवाजीनगर और भिवंडी जैसी सीटों पर जीत मिली है, जो मुस्लिम बहुल इलाकों के रूप में जानी जाती हैं।  

यह विवाद महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे सकता है। शिवसेना (यूबीटी) जहां हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है, वहीं सपा ने गठबंधन से अलग होकर अपनी स्थिति साफ कर दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस घटनाक्रम का राज्य की राजनीति और महाविकास अघाड़ी पर क्या असर पड़ेगा।

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