कभी विधान परिषद में बोलती थी सपा की तूती, अब खाता खोलना भी मुश्किल

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल करते हुए सत्ता में लौटी भाजपा का अब लक्ष्य विधान परिषद में भी बहुमत प्राप्त करने पर है. वहीं, सपा के सामने केवल अपनी सीटों को बचाए रखने की ही नहीं, बल्कि खाता खोलने की भी चुनौती है, क्योंकि MLC चुनाव के इतिहास को देखें तो सत्ताधारी पार्टी को जीत मिलती रही है. सूबे की सत्ता में भाजपा विराजमान है तो विपक्ष में सपा है. MLC चुनाव भाजपा और सपा के बीच सिमटा रहा है.

यूपी में स्थानीय निकाय की 36 MLC सीटों में से 9 सीटों पर भाजपा पहले ही निर्विरोध जीत हासिल कर चुकी है, जिसके कारण बची बाकी 27 MLC सीटों पर वोटों की गिनती जारी है. भाजपा इन 27 सीटों में से कम से कम 25 सीट पर जीत की आस लगाए हुए है. ऐसा हुआ तो भाजपा विधान परिषद में सबसे बड़ा दल बनकर इतिहास रच देगी. योगी आदित्यनाथ के 2017 में उत्तर प्रदेश के सीएम बनने के बाद से विधानसभा में भले ही भाजपा का दबदबा रहा हो, मगर विधान परिषद में सपा की तूती बोलती थी. 

विधान परिषद चुनाव में सपा ने 36 में से 34 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, तो 2 सीटें सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (RLD) को सौंपी थी. नामांकन के दौरान चार जगह पर सपा उम्मीदवार के पर्चे छीने जाने के कारण नामांकन नहीं कर सके थे. फिर सपा-RLD उम्मीदवार के नाम वापस लेने की वजह से 9 सीटों पर भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध जीत दर्ज करने में सफल रहे. अब सपा को 27 सीटों में से भी किसी सीट को जीतना तो दूर जमानत बचाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

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