लखनऊ: उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण आदेश दिया। कोर्ट ने निचली अदालतों को निर्देश दिया कि इस मामले में किसी भी प्रकार की कार्रवाई न की जाए, और यह भी कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के बिना कोई कदम नहीं उठाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि वह हाई कोर्ट क्यों नहीं गए, जबकि यह मामला वहां दायर किया जा सकता था। याचिकाकर्ता ने मस्जिद कमेटी की ओर से स्थानीय अदालत के सर्वे आदेश को चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट में अपनी दलीलें उचित पीठ के सामने प्रस्तुत करनी चाहिए। CJI (मुख्य न्यायाधीश) ने इस दौरान यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई आदेश पारित करने से पहले पूरी तरह से तटस्थ रहेगा और किसी भी प्रकार की हिंसा या विवाद नहीं होने देगा। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि वह सभी संबंधित पक्षों के प्रतिनिधियों के साथ शांति समिति बनाए ताकि इलाके में शांति और सद्भाव बनाए रखा जा सके। याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि देशभर में इस प्रकार के 10 मामले लंबित हैं, जिनमें से 5 यूपी में हैं, और इन मामलों में आमतौर पर एक मुकदमा दायर कर फिर विवाद खड़ा किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि इस आदेश के खिलाफ कोई अपील या पुनरीक्षण दायर किया जाता है, तो उसे तीन कार्य दिवसों के भीतर सुनवाई के लिए लिस्टेड किया जाना चाहिए। सबसे हैरानी की बात तो ये है कि संभल सर्वे का आदेश होने और मुस्लिम दंगाइयों द्वारा हिंसा करने के चंद घंटों में ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया और देश के प्रधान न्यायाधीश खुद इसको सुनने बैठ भी गए, और निचली अदालत को कोई भी कार्रवाई करने से रोक दिया गया। दूसरी तरफ एक गरीब आदमी की पूरी उम्र निकल जाती है, वो ट्रायल कोर्ट से सेशन कोर्ट तक नहीं पहुँच पाता, पहुंचता भी है तो संभवतः उसकी सुनी नहीं जाती, ऐसे ही देश में 5 करोड़ मामले लंबित नहीं हैं। LAC पर बड़ी तैयारी में भारत, युद्धस्तर पर चल रहा काम, तिलमिला जाएगा ड्रैगन बेटी को छेड़ रहा था मनचला, मां ने सरेआम किया कुछ ऐसा कि छूने लगा-पैर टीम इंडिया पाकिस्तान जाएगी या नहीं, ये क्या तेजस्वी यादव तय करेंगे..? भाजपा का पलटवार