भगवान महाकाल की दर पर भक्तों का पड़ा अकाल, प्रशासन उपलब्ध करा रहा मदिरा

मध्यप्रदेश में कोरोना का प्रकोप काफी समय से जारी है. वही, लॉकडाउन का प्रभाव धर्मधानी और मंदिरों के शहर के रूप में ख्यात उज्जैन में भी दिख रहा है. इन दिनों यहां सबकुछ थम-सा गया है. लॉकडाउन के कारण मंदिरों में भी बहुत कुछ बदला है. कालभैरव मंदिर में भी सन्नाटा पसरा हुआ है. यहां रोजाना सैकड़ों भक्त बाबा को मदिरा का भोग लगाते थे. कई लीटर मदिरा का भोग रोज लगता था. मगर अब केवल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही मदिरा ही चढ़ाई जा रही है. चढ़ावे के बाद बची मदिरा से पुजारी गर्भगृह को सैनिटाइज कर रहे हैं.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राजाधिराज भगवान महाकाल के सेनापति बाबा कालभैरव को नित्य सुबह व संध्या आरती में मदिरा का भोग लगाया जाता है. लॉकडाउन में भी यह परंपरा कायम है. फर्क है तो सिर्फ इतना की लॉकडाउन के पहले भगवान को अर्पित मदिरा भक्तों को प्रसाद रूप में बांटी जाती थी, लेकिन अब मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर रोक लगी हुई है. ऐसे में बचे हुए मदिरा प्रसाद का सैनिटाइजर के रूप में उपयोग कर गर्भगृह की दीवारों पर मढ़ी गई चांदी, रैलिंग, झरोखों की जालियों आदि की सफाई की जा रही है.

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इस परिस्थिति को लेकर पुजारी धमेर्ंद्र चतुर्वेदी के अनुसार भगवान को मदिरा का भोग लगाया जा रहा है. इसके लिए मदिरा प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है. भगवान को भोग लगाने के बाद बचे हुए प्रसाद का उपयोग मंदिर के गर्भगृह को सैनिटाइज करने में इसलिए किया जा रहा है ताकि प्रसाद का अनादर न हो. मंदिर में ही स्वच्छता में इसका उपयोग हो. मदिरा में डेटॉल लिक्विड भी मिलाया जा रहा है.

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