पंजाब के क्रांतिकारी जमींदार शंधू खानदान में जन्मे भारतीय आज़ादी के जननायक सरदार भगत सिंह बचपन से ही देश भक्त हो चुके थे. 13 अप्रैल 1919 को जालियां वाला बाग़ में अमृतसर के जर्नल 'डायर' ने निहत्थे और निर्दोष भारतीयों के साथ दर्दनाक मौत का खेल खेला. जलियांवाला बाग पूरी तरह खून में सराबोर हो गया था. इस नरसंहार में हज़ारों लोग बेमौत मारे गए थे. नेपाल के विदेश मंत्री से मिलीं सुषमा स्वराज, कई अहम् मुद्दों पर हुई चर्चा सरदार भगत सिंह ने इस घटना के बाद वहाँ जाने की इच्छा जताई तो भगत के चाचा सरदार अजीत सिंह ने भगत सिंह को उस जगह की सैर कराई. बारह साल का वो बालक इतना देश प्रेमी था जितने की उम्मीद भी न थी, भगत सिंह ने घर से एक पात्र अपने साथ लाया था. जालियां वाला बाग पहुंच कर बालक भगत सिंह ने मैदान को देखा और उस मिटटी के पर छूकर उस पात्र में बाग़ की मिटटी खोद कर भर ली. और कहा,यह मेरे देश की मिट्टी मेरे लिए, पूजनीय है, लेकिन मेरे देशवासियों के लहू से सींची यह मिट्टी मेरे लिए विधाता तुल्य हो गई है. अब मैं यह संकल्प लेता हूँ कि जब तक इन अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ नहीं देता चैन से नहीं बैठूंगा. भगत सिंह बड़े होते गए कड़े काम करते गए और एक दिन उनकी मुलाक़ात चंद्रशेखर आज़ाद से हो गई. आज़ाद ने देश भर के क्रांतिकारियों कि एक पार्टी बना रखी थी जिसका नाम था 'हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी' उस समय इनकी नज़र में आया 'लाला लाजपत राय' के सर पर लाठी से वार करने वाला पुलिस अफसर 'सांडर्स' चंद्रशेखर,भगत और सुखदेव ने योजना बनाकर सांडर्स को गोली मार दी और चलते बने. बीजेपी कार्यकर्त्ता महाकुंभ : भोपाल पहुंचे पीएम मोदी, जल्द ही करेंगे जनसभा को संबोधित विधान सभा में जब भारतियों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया जा रहा था तब विधानसभा में बम फेक कर खुद की गिरफ्तारी करा ली , मात्र 24 साल की मौज करने की उम्र में देश के दीवानो को जगा कर हँसते-हँसते 31 मार्च 1931 को 'इंक़लाब' का नारा देकर फांसी के फंदे पर झूल कर अमर हो गए. अन्य खबरें भाजपा कार्यकर्त्ता महाकुम्भ लाइव : मोदी ने की कार्यकर्ताओं की तारीफ़, विपक्ष पर गरजे शाह एशिया कप 2018: 2014 जैसे ही हैं हालात, क्या आज इतिहास बदल पाएगा अफ़ग़ानिस्तान ? विराट कोहली की डेब्यू फिल्म 'ट्रेलर: द मूवी' का धमाकेदार टीज़र हुआ रिलीज़