आज भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 72वीं पुण्यतिथि है। 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में उनका देहांत हो गया था। वह भारत के पहले उप प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री थे। हिन्दुस्तान को स्वतंत्रता मिलने के पश्चात् सरदार वल्लभ भाई पटेल की पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में अहम किरदार रहा। इसके अतिरिक्त सरदार पटेल ही भारतीय सिविल सेवा की निरंतरता को कायम रखने वाले निर्णायक व्यक्ति थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ। लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की तथा वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में हिस्सा लिया। स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था। उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का कामयाब नेतृत्त्व भी किया। लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे। आजादी प्राप्ति के पश्चात् देशी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण किया। महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि दी थी। गुजरात में नर्मदा के सरदार सरोवर बांध के सामने सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर (597 फीट) ऊंची लौह प्रतिमा (स्टैचू ऑफ यूनिटी) का निर्माण किया गया। यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसे 31 अक्टूबर 2018 को देश को समर्पित किया गया। स्टेचू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई सिर्फ 93 मीटर है। सरदार पटेल जी का देहांत 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में हुआ था। सन 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरान्त 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था। जहरीली शराब से हुई मौतों पर आया तेजस्वी यादव का बड़ा बयान, BJP पर बोला हमला महात्मा गांधी से तुलना होने पर भड़के राहुल गाँधी, दिया ये बड़ा बयान कोख में ही हो गया मासूम का सौदा, 1 लाख में बिका बच्चा