साड़ी, जिसे भारतीय संस्कृति और परिधान में अहम माना गया है. कहा गया है साड़ी से ही नारी की खूबसूरती बढ़ती है. भारत के अधिकांश राज्य और शहर में साड़ी को ही मान्यता दी गई है जिसके चलते महिलाएं साड़ी ही पहनती हैं. साड़ी उनकी खूबसूरती तो बढ़ता ही है साथ ही ये नारी की सभ्यता को भी कायम रखता है. साड़ी भारतीयों की पहचान है. साड़ी पहनने के और क्या-क्या महत्व है वो हम आपको बताने जा रहे हैं. जानते हैं इस आर्टिकल से. आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारतीय साड़ी का उल्लेख पौराणिक ग्रंथ महाभारत में भी मिलता है. महाभारत में पांडव पत्नी द्रौपदी ने भी साड़ी पहनी थी. जब उनका चीरहरण हुआ तब श्रीकृष्ण ने आकर उनकी साड़ी से ही लाज रही थी. यानी साड़ी पहनना नारी के सम्मान को भी दर्शाता है. साड़ी पहनने का रिवाज कई वर्षों से चला आ रहा है और प्राचीन काल में भी महिलाएं साड़ी ही पहनती थी. देखा जाता है विवाहित महिला रंगीन साड़ी पहनती है वहीं विधवा महिला सफ़ेद साड़ी पहनती है. साड़ी पहनने के कई तरीके हैं जो अलग अलग राज्य और उनकी संस्कृति के अनुसार पहनी जाती है. गुजरात में इसे अलग तरीके से पहना जाता है, बंगाल में इसे अलग तरीके से पहना जाता है. दक्षिण में साड़ी का एक अलग तरीका देखा जाता है और महाराष्ट्र में इसे पहनने का अलग तरीका है. यानी साड़ी पहनने की संस्कृति सभी जगह है बस उसके तरीके बदले हुए हैं जिन्हें आप भी अच्छे से जान गए हैं. प्राचीन काल से चली आ रही ये सभ्यता आज भी कायम है. क्यों दिए गए हैं विधवाओं को सफ़ेद रंग ? सपने में दिखे लाल साडी वाली महिला तो समझें.. माता के इस मंदिर में पानी से जलता है दीपक, रहस्य जानकर हैरान हो जायेंगे आप