पितृ पक्ष या श्राद्ध की शुरुआत इस बार 29 सितंबर से होने जा रही है तथा इसका समापन 14 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या के दिन होगा. सर्व पितृ अमावस्या को महालया अमावस्या, पितृ अमावस्या एवं पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है तथा यही पितृ पक्ष का अंतिम दिन भी होता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, सर्व पितृ अमावस्या आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. सर्व पितृ अमावस्या तिथि:- उदयातिथि के मुताबिक, इस बार सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी. अमावस्या तिथि का आरंभ 13 अक्टूबर को रात 9 बजकर 50 मिनट पर होने जा रहा है तथा अमावस्या तिथि का समापन 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगा. कुतुप मूहूर्त - प्रातः 11 बजकर 44 मिनट से दिन 12 बजकर 30 मिनट तक रौहिण मूहूर्त - दिन में 12 बजकर 30 मिनट से 1 बजकर 16 मिनट तक अपराह्न काल - दिन में 1 बजकर 16 मिनट से दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक सर्व पितृ अमावस्या पूजन विधि:- 1. तर्पण-दूध, तिल, कुशा, पुष्प, सुगंधित जल पितरों को चढ़ाएं. 2. पिंडदान-चावल या जौ के पिंडदान, करके भूखों को भोजन दें. 3. निर्धनों को वस्त्र दें. 4. भोजन के बाद दक्षिणा दिए बिना एवं चरण स्पर्श बिना फल नहीं प्राप्त होता. 5. पूर्वजों के नाम पर करें ये काम जैसे -शिक्षा दान,रक्त दान, भोजन दान,वृक्षारोपण ,चिकित्सा संबंधी दान आदि जरूर करना चाहिए. 'अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब नफरती भाषण देना नहीं..', सनातन धर्म पर जहरीले बोलों के बीच मद्रास हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी कब है ऋषि पंचमी? जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व हरतालिका तीज पर राशि अनुसार पहनें इस रंग की साड़ी और चूड़ियां, पूरी होगी हर मनोकामना