हाल ही में कर्नाटक में विधानसभा के चुनाव खत्म हुए, जिसके बाद स्थिति यह थी कि सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी को यहाँ पर सबसे ज्यादा सीटें तो मिली लेकिन वो सरकार बनाने में नाकाम रही वहीं कांग्रेस और जेडीएस कर्नाटक में दूसरी और तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी जिन्होंने गठबंधन कर यहां पर सरकार बना ली. कर्नाटक में काफी खींचतान के बाद कांग्रेस और जेडीएस ने सरकार तो बना ली, लेकिन हो वही रहा है, जिसके नाम से हमारे देश की राजनीति को जाना जाता रहा है. ये कोई आज के हालात नहीं है, ऐसा हमेशा से होता आया है. देश की राजनीति में हर कोई विधायक, सांसद बनने के बाद मंत्री बनने के सपने देखता है. वैसा ही कुछ कर्नाटक में कांग्रेस के विधायकों के साथ हो रहा है. हाल ही में मिल रही खबरों के बीच कांग्रेस के विधायकों में लगातार बढ़ रहा असंतोष अब उन्हें राहुल गांधी के द्वार तक खींच लाया. हालाँकि राहुल गाँधी भी कभी इस तरह की राजनीति के आदी नहीं रहे है यही कारण है कि साफ़ दिखाई दे रहा है, अबकी कांग्रेस राजनीति में असफल मानी जा रही है. हालाँकि काफी जोड़-तोड़ के बाद कांग्रेस और जेडीएस ने सरकार भी बना ली और मंत्रिमंडल का विस्तार भी कर लिया, लेकिन उन लोगों का क्या जो कर्नाटक के विकास का सपना लेकर बैठे है. महीने भर से चल रहे कर्नाटक के नाटक के बीच सदन अभी शांत है, सदन में विकास की कोई बात नहीं होती. सदन में बीजेपी मुंह देख रही है उन विधायकों का जो बागी बनकर उनकर पास चले आए, वहीं कांग्रेस खुद अपने विधायकों को संभाल नहीं पा रही है, इसी बीच कुमारस्वामी ने कर्नाटक के युवाओं को उच्च शिक्षा देने के लिए एक 8 वीं पास विधायक को मंत्री बना दिया, जिनके सर पर कर्नाटक के बच्चों का भविष्य है. देखने पर यह हालत साधारण दिखाई दे सकते है, लेकिन देश के लोकतंत्र, देश की जनता, देश के विकास और देश की तरक्की का ढोंग करने वाले ये नेता अपनी मानसिकता के बल पर खूबसूरत भारत को किसी ऐसी जगह लेकर जाना चाहते है जहाँ से आम आदमी कभी खुद के ऊपर उठने का सपना भी न देख पाए और ये लोग गरीबों के पैसों से मंत्री बनकर अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने का खेल खेलते रहे. पांच साल में एक विधायक तो छोड़ो, एक मोहल्ले का पार्षद इतनी कमाई कर लेता कि वो ज़िंदगी भर बैठकर आराम से खाता है. अब जो भी हो, इन सब उठापटक के बीच देश का विकास और कर्नाटक दोनों भगवान भरोसे.