कैसे 93 मिनट ने बदल दी सत्यजीत रे की ज़िंदगी...

बंगाली के भाषा के मशहूर फिल्म निर्माता, लेखक, आलोचक, ग्राफ़िक डिज़ाइनर, एडिटर, सत्यजीत रे आज ही के दिन 1992 में इस दुनिया को छोड़कर चले गए थे. 2 मई 1991 को जन्में सत्यजीत रे ने अपनी फिल्मों से एक ऐसा मुकाम हासिल किया है जो शायद ही किसी को हासिल हुआ हो, पाथेर पांचाली सत्यजीत रे की पहली फिल्म थी इसके पहले वो ग्राफ़िक डिज़ाइनर के रूप में काम किया करते थे. 

एक समय 1949 में सत्यजीत रे की मुलाकात फ्रांसीसी निर्देशक जां रेनोआ से हुई जो उन दिनों अपनी फिल्म द रिवर की शूटिंग के लिए लोकेशन की तलाश में कलकत्ता आए थे. रे ने लोकेशन तलाशने में रेनोआ की मदद की. इसी दौरान रेनोआ को लगा कि रे में बढ़िया फिल्मकार बनने की भी प्रतिभा है. उन्होंने यह बात कही भी. यहीं से रे के मन में फिल्म निर्माण का विचार उमड़ना-घुमड़ना शुरू हुआ.

1950 में रे को कम्पनी के किसी काम से लंदन जाना हुआ, लंदन जाने के बाद रे ने वहां एक के बाद एक ढेर सारी फ़िल्में देखी, इसी लिस्ट में  ‘बाइसकिल थीव्स’ नाम की एक फिल्म देखते समय जब रे सिनेमा घर से बाहर आए तो उस फिल्म ने रे की ज़िंदगी में एक गहरा प्रभाव छोड़ा था जिसके बाद लंदन से लौटते वक़्त रे ने अपनी पहली फिल्म 'पाथेर पांचाली' का खाका दिमाग में तैयार कर लिया और भारत लौटते के साथ फिल्म पर काम भी शुरू कर दिया. 

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