फिल्मीं दुनिया से जुड़े हर शख्स का सपना होता है कि वो अवार्ड्स जीते है और इन अवार्ड्स में अगर ऑस्कर शामिल हो तो हमें नहीं लगता कोई इसे लेकर भी कुछ सोच सकता है. लेकिन ऐसा हुआ है, सत्यजीत रे के साथ. 2 मई 1921 को जन्में सत्यजीत रे ने अपनी फिल्मों से कुछ कारनामा किया है कि वो ऑस्कर के पास नहीं गए, बल्कि ऑस्कर खुद इनके पास चलकर आया. अपनी सफल फिल्मों के निर्माण से सत्यजीत रे 32 राष्ट्रीय पुरुस्कार जीत चुके है, रे की फिल्मों को पूरी दुनिया भर में सराहा गया. उनकी फिल्म 'पाथेर पांचाली' और अपू त्रयी को दुनियाभर के फिल्म फेस्टिवल्स में सैकड़ों अवॉर्ड मिले हैं, बावजूद इसके रे ने अपनी किसी भी फिल्म को ऑस्कर में नॉमिनेशन के लिए नहीं भेजा. भारतीय सिनेमा को इंटरनेशनल लेवल तक पहुचाने का योगदान अगर किसी को जाता है तो वो है सत्यजीत रे. फिल्मी जगत के सबसे बेहतरीन निर्देशकों में शुमार रे को 1992 में लाइफटाइम अचीवमेंट की श्रेणी में ऑस्कर से सम्मानित किया गया था. ऑस्कर लेने रे कभी नहीं गए न ही उन्होंने अपनी किसी फिल्म को ऑस्कर के लिए भेजा, बल्कि ऑस्कर खुद उनके लिए चलकर कोलकाता आया. सत्यीजत रे इस दौरान बीमार चल रहे थे. इस आयोजन की फिल्म बनाई गई और और रे के काम को ऑस्कर में दिखाकर पूरी दुनिया के सामने प्रदर्शित किया गया. कैसे 93 मिनट ने बदल दी सत्यजीत रे की ज़िंदगी... पुण्यतिथि: ऑस्कर विजेता 'सत्यजीत रे' आज हुए थे दुनिया से विदा