सावन में जरूर पढ़े या सुने भोले बाबा की ये दो कथा

सावन का महीना है और इस महीने में शिव जी का पूजन किया जाता है। कहते हैं इस महीने में शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। कहा जाता है सावन मास में शिव भक्ति के साथ ही भगवान शिव की कथा सुनने का भी महत्व है। जी हाँ और शिव पुराण में भगवान शिव के कई प्रसंग हैं। जी दरअसल उनके 19 अवतारों के बारे में बताया गया है। इसी के साथ ही किस-किस को भगवान ने क्या-क्या वरदान दिए ये भी कथाएं हैं। अब आज सावन के पहले सोमवार को हम भगवान शिव की दो छोटी-छोटी कथाएं आपको बताने जा रहे हैं। भगवान शिव के पसीने से अंधक का जन्म - एक दिन भगवान शिव और माता पार्वती घूमते हुए काशी पहुंच गए। वहीं शिव अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर करके बैठे थे। उसी समय पार्वती माता ने पीछे से आकर अपने हाथों से भगवान शिव की आंखों को बंद कर दिया। ऐसा करने पर उस पल के लिए पूरे संसार में अंधेरा छा गया। उसके बाद जैसे ही माता पार्वती के हाथों का स्पर्श भगवान शिव के शरीर पर हुआ, वैसे ही भगवान शिव के सिर से पसीने की बूंदें गिरने लगीं। उन पसीने की बूंदों से एक बालक प्रकट हुआ और उस बालक का मुंह बहुत बड़ा था और भंयकर था। उस बालक को देखकर माता पार्वती ने भगवान शिव से उसकी उत्पत्ति के बारे में पूछा। भगवान शिव ने पसीने से उत्पन्न होने के कारण उसे अपना पुत्र बताया। अंधकार में उत्पन्न होने की वजह से वह बालक अंधा था और इसलिए, उसका नाम अंधक रखा गया। कुछ समय बाद दैत्य हिरण्याक्ष के पुत्र प्राप्ति का वर मागंने पर भगवान शिव ने अंधक को उसे पुत्र रूप में प्रदान कर दिया। भगवान शिव ने ली थी पार्वती की परीक्षा- शिवपुराण में दिए गए एक प्रसंग के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव को पति रूप में पाना चाहती थी। जिसके लिए वह कई वर्षों से कठोर तपस्या कर रही थी। माता पार्वती की तपस्या देखकर भगवान शिव उनकी भक्ति पर प्रसन्न थे, लेकिन भगवान शिव उनके प्रेम की परीक्षा लेना चाहते थे। परीक्षा लेने के लिए भगवान शिव एक ब्राह्मण का रूप धारण करके माता पार्वती के आश्रम में गए। जहां देवी पार्वती तपस्या कर रही थी। पार्वती को तपस्या करते देख ब्राह्मण रूपी भगवान शिव ने माता से इतनी कठोर तपस्या करने का कारण पूछा। ब्राह्मण के ऐसा पूछने पर माता पार्वती ने उन्हें बताया कि वे भगवान शिव को अपने पति रूप में पाना चाहती है। उन्हीं को पाने के लिए वे तपस्या कर रही है। माता पार्वती के ऐसा कहने पर ब्राह्मण रूपी शिव माता पार्वती के सामने भगवान शिव की निन्दा करने लगे। ब्राह्मण के मुंह से भगवान शिव की निन्दा सुनने पर माता पार्वती ने ब्राह्मण की बातों का विरोध किया और भगवान शिव के गुणों का वर्णन किया। माता पार्वती के ऐसा करने पर भगवान शिव उन पर बहुत प्रसन्न हुए और माता पार्वती को शिव रूप के दर्शन दिए। साथ ही देवी को ही अपनी पत्नी बनाने का वरदान भी दिया।

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