नई दिल्ली : अपने विरोधियों की आवाज दबाने के लिये सुर्खियों में बनी रहने वाली तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को सुप्रीम कोर्ट ने नसीहत दी है। कोर्ट ने उनसे यह कहा है कि लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन देखने में यह आ रहा है कि उनकी सरकार अपने विरोधियों की आवाज आपराधिक अवमानना के माध्यम से दबाती है। कोर्ट ने सीएम को फटकार लगाते हुये कहा है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिये। गौरतलब है कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री द्वारा अभी तक कई विपक्षी नेताओं की अपने खिलाफ उठी आवाज को दबाने के लिये अवमानना का मुकदमा दर्ज कराया गया है, लेकिन इस मामले को अब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुये जयललिता को फटकार लगाई है। कोर्ट ने सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों से भी यह कहा है कि यदि वे सार्वजनिक पदों पर बैठकर कार्य रहे है तो उन्हें किसी तरह की आलोचना से डरना नहीं चाहिये। बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट में डीएमडी पार्टी के अध्यक्ष विजय कांत ने अर्जी लगाई है और इसी के चलते कोर्ट ने जयललिता और उनकी सरकार को नसीहत दी। न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह कहा है कि लोकतंत्र में किसी की आवाज दबाने के लिये कानूनी रूप से हर बार सहारा नहीं लिया जा सकता है। कोर्ट में याचिका लगाते हुये विजय कांत ने यह कहा था कि जयललिता सरकार अपनी ताकत के बल पर विरोधियों की आवाज दबाने से बाज नहीं आ रही है। आरक्षण रद्द करने के मामले में यथा स्थिति बरकरार सुप्रीम कोर्ट ने किया स्पष्ट, दखल से नहीं सुलझ सकता कश्मीर मसला