नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मंगलवार को पूछा कि क्या सरकार जजों का वेतन बढ़ाना भूल गई है? कोर्ट ने कहा कि जजों का वेतन सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद नौकरशाहों से भी कम है. साथ ही ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों कि सैलरी का क्या होगा जिसे बाकी केंद्र कर्मचारियों के साथ सातवें वेतन आयोग की सिफारिश में शामिल किया गया था. सर्वोच्च न्यायालय के स्टाफ और अधिकारियों को वॉशिंग अलाउंस देने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्र सरकार के कर्मियों का वेतन जिस अनुपात में बढ़ा है वैसे ही जजों के वेतन में वृद्धि नहीं हुई है. बता दें कि जजों की सैलरी बढ़ाने की बात को केंद्र ने मार्च में मंजूरी दी थी लेकिन फिलहाल आगे की कार्यवाही नहीं हो पाई है. इसको लागू करने के लिए संसद द्वारा संशोधन होना है जो अबतक नहीं हुआ है. गौरतलब है कि भारत के चीफ जस्टिस जो कि सैद्धांतिक तौर पर किसी भी अधिकारी से ऊपर का दर्जा रखते हैं को प्रतिमाह वेतन में सिर्फ 1 लाख रुपए मिलते हैं. चीफ जस्टिस के वेतन में इसके साथ एचआरए और दूसरे तमाम तरह के भत्ते भी शामिल होते हैं. सुप्रीम कोर्ट के जज और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को 90 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन के रूप में मिलते हैं. क्लास में छात्रा को बंद कर घर चली गई टीचर जानिए क्यों न्यूड होकर चोरी करता था चोर यूपी कैबिनेट ने दी 13 वाणिज्यिक कोर्ट को मंजूरी