नई दिल्ली : जन्माष्टमी के एक दिन पूर्व उच्चतम न्यायालय ने अपने उस पूर्व आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया है, जिसमें उसने दही हांडी आयोजन के लियेे सीमा रेखा तय करने संबंधी आदेश जारी दिये थे। आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने पहले यह आदेश दिया था कि दही हांडी उत्सव में न तो बच्चे ही हिस्सा ले सकेंगे और न ही मानव पिरामिड की उंचाई बीस फुट से अधिक रखी जा सकती है। माननीय न्यायालय ने बुधवार को एक बार फिर यह कहा है कि वह अपने पुराने आदेश पर कायम है और इसमें किसी तरह का संशोधन नहीं किया जा सकता। अभी तक देखने में यह आ रहा था कि जन्माष्टमी के अवसर आयोजित होने वाले दही हांडी उत्सव में न केवल बच्चे गोविंदा बनकर हांडी को फोड़ने का कार्य किया करते थे वहीं मानव पिरामिड की भी उंचाई मनमर्जी से तय की जाती रही है। ऐसी स्थिति में कई बार गंभीर दुर्घटनायें भी सामने आई है। इधर कोर्ट के आदेश को लेकर राजनीतिक दल व आयोजक नाराज है और राजनीतिक दलों ने तो आदेश के खिलाफ बयान भी जारी कर दिये। दही हांडी के मामले में दिये गये आदेश को लेकर उच्चतम न्यायालय में बुधवार को एक याचिका दाखिल की गई, जिस पर सुनवाई करते हुये न्यायालय ने अपने पूर्व के आदेश में किसी तरह का संशोधन करने से साफ इनकार कर दिया। गौरतलब है कि कल गुरूवार को देश भर में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जायेगा तथा इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में दही हांडी उत्सव के भी आयोजन होंगे। कल ही श्रेयस्कर होगा जन्माष्टमी मनाना, मुर्हूत में करें कान्हा का जन्म जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को चढ़ाए पंजीरी का प्रसाद