मौत की सजा से नहीं बच सकेगा कासिम अली

ढाका: जमात-ए-इस्लामी के वरिष्ठ नेता मीर कासिम अली अपनी मौत की सजा से नहीं बच सकेंगे। उन्होंने मौत की सजा को माफ करने के लिये सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें किसी तरह की राहत नहीं दी है। गौरतलब है कि कासिम अली 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान किये गये युद्ध अपराधों के दोषी सिद्ध हुये है और उन्हें मौत की सजा दी गई है।

बताया गया है कि उनकी मौत की सजा बरकरार रखने का फैसला प्रधान न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में गठित पठ ने दिया है। पीठ ने यह कहा है कि जो अपराध कासिम ने किया है, उसकी सजा सिर्फ और सिर्फ मौत ही हो सकती है। जानकारी मिली है कि जिस संगठन का संचालन मीर कासिम अली करते है, वह संगठन बांग्लादेश का आजादी के खिलाफ था। आपको बता दें कि भारत के सहयोग से 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश को आजाद करा लिया गया था।

हालांकि अब मीर कासिम अली अपनी मौत की माफी को लेकर राष्ट्रपति की शरण ले सकता है। फैसला देने के बाद मीडिया से रूबरू होते हुये अटाॅर्नी जनरल महबूब ए आलम का कहना था कि अली दया याचिका राष्ट्रपति तक पहुंचा सकता है, लेकिन इसके बाद भी उसकी याचिका को स्वीकार नहीं किया जाता है तो कभी भी अली को मौत की सजा दी जा सकती है। बताया गया है कि मौत की सजा पाने वाला अली मीडिया के धंधे से भी जुड़ा हुआ है और वह कई अखबारों व चैनलों का मालिक है।

खबरों के मुताबिक अली के संगठन ने पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी का विरोध करते हुये पाकिस्तान का साथ दिया था। माना जाता है कि पाकिस्तानी सेना और उसका सहयोगी कासिम ने अपने अन्य समर्थकों के साथ न केवल पाकिस्तानी सेना का सहयोग दिया वहीं युद्ध के दौरान तीस लाख लोगों को मौत के घाट भी उतार दिया था। मौत की सजा पाने वाले कासिम पर  यह भी आरोप है कि उसने कोर्ट में चलने वाले उसके खिलाफ मामले को भी प्रभावित करने का प्रयास किया था। 

 

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