पटना। बिहार राज्य में शराब निर्माण पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई की,सर्वोच्च न्यायालय ने स्टाॅक को निकालने का समय बढ़ा दिया है। दरअसल राज्य में शराब का विक्रय प्रतिबंधित है। मगर शराब का निर्माण किया जा सकता है। शराब निर्माता कंपनियों को लेकर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने स्टाॅक निकालने का समय 31 मई से बढकर 31 जुलाई कर दिया है। यह भी कहा गया कि 31 मई तक गोदाम से स्टाॅक नहीं निकाला जा सकता। शराब निर्माता कंपनियों ने कहा कि लगभग 200 करोड़ रूपए की शराब का स्टाॅक बिहार के गोदाम में संग्रहित है। बिहार सरकार ने राज्य में शराब के सेवन, भंडारण और बिक्री पर 30 मार्च को पूर्ण प्रतिबंध लगाते हुये एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें इन कंपनियों को अपना पुराना स्टाक दूसरे राज्यों को भेजने की अनुमति प्रदान की गयी थी। राज्य सरकार ने इन कंपिनयों को आबकारी और गैर आबकारी जिन्सों को 30 अप्रैल तक निर्यात करने की अनुमति दी थी। इसके बाद ये कंपनियां ऐसा नहीं कर सकती थीं। हालांकि शीर्ष अदालत ने शराब निर्माताओं की याचिका पर यह अवधि 31 मई तक बढा दी थी। मिली जानकारी के अनुसार बिहार से कंपनियों को शराब का संग्रह निकालने का आदेश दिया गया था। सरकार का कहना था कि उसने 30मार्च को ही आदेश पारित किया हुआ है। कंपनियां 31 मई तक अपना स्टाॅक निकाल सकती हैं। इतना ही नहीं शराब कंपनियों द्वारा कहा गया कि उनके गोदाम में शराब का संग्रह है। उल्लेखनीय है कि लगभग 200 करोड़ रूपए की शराब का संग्रह बिहार के गोदाम में रखा होने की जानकारी सामने आई है। शराब निर्माताओं के लिए यह एक बड़ी परेशानी है। उनके पास स्टाॅक बहुत है मगर मामले की सुनवाई न्यायालय 29 मई को करेगा। गौरतलब है कि अपने एक पूर्व के आदेश में सर्वोच्च न्यायालय शराब निर्माताओं को कह चुका है कि वे अपना सारा स्टाॅक 31 मई तक निकालें। ऐसे में शराब निर्माताओं के लिए परेशानी बढ़ गई है। शराब निर्माताओं के लिए यह पसोपेश है कि वे अपना स्टाॅक किस तरह से निकालेंगे। बिहार में बिजली गिरने से 23 की मौत, आंधी से ढही दीवार बिहार को विशेष राज्य की श्रेणी में लाने को लेकर CM नीतीश कुमार ने PM मोदी को लिखा पत्र