नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार (14 अगस्त) को 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में दोषी ठहराए गए तीन लोगों को जमानत देने से इनकार कर दिया। इस पूर्व नियोजित हमले में 27 महिलाओं और 10 बच्चों सहित 59 तीर्थयात्री जिन्दा जला दिए गए थे। कट्टरपंथियों की भीड़ ने इस हमले को अंजाम दिया था। इस भीषण नरसंहार के दोषियों की जामनत का यह मामला तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष आया, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे। जमानत अर्जी खारिज करते हुए CJI ने कहा कि, ''घटना भी बहुत गंभीर घटना है. यह किसी एक व्यक्ति की अकेली मौत नहीं है।' उन्होंने कहा कि मामले को अनिश्चित काल तक लंबित नहीं रखा जा सकता और इसकी जल्दी सुनवाई होनी चाहिए। CJI ने कहा कि, 'मैं अपील को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करूंगा। क्योंकि इस मामले की सुनवाई यही होनी है. इसे अनिश्चित काल तक नहीं रखा जा सकता।' सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि, ''हम इस स्तर पर जमानत देने के इच्छुक नहीं हैं।'' भारत के मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि एक उचित पीठ का गठन किया जाएगा और तीनों दोषी उस विशेष पीठ के समक्ष अपनी जमानत याचिका दायर कर सकते हैं। गोधरा ट्रेन अग्निकांड:- बता दें कि, 27 फरवरी 2002 को गोधरा में कट्टरपंथी मुस्लिमों की एक भीड़ ने साबरमती एक्सप्रेस के दो डिब्बों में आग लगा दी। इस घटना में बच्चों और महिलाओं समेत 59 हिंदू तीर्थयात्री जिंदा जला दिए गए थे। ट्रेन जलाने की घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिसमें 1,200 लोग मारे गए और कई हजार जख्मी हो गए। मार्च 2011 में, इस मामले में 11 दोषियों को मौत की सजा दी गई थी, और 20 को एक विशेष अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। छह वर्ष के बाद, गुजरात उच्च न्यायालय ने 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया, जबकि अदालत ने 20 अन्य के लिए आजीवन कारावास को बरकरार रखा था। '2-4 ही हिन्दू मरे हैं, कम से कम 20-30 को मार डालना..', नूंह हिंसा में दंगाइयों को भड़काने वाला अफजल गिरफ्तार कल तक भाई थे, आज 'कसाई' कैसे बन गए ? आज़ादी के 'तोहफे' के नाम पर आई थी लाशों से भरी ट्रेनें 'राक्षसी प्रवृत्ति के हैं भाजपा को वोट देने वाले लोग, मैं उन्हें श्राप देता हूँ...', कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला के बिगड़े बोल, Video