नई दिल्ली : दो साल पहले के एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। इस मामले में केंद्र सरकार, असम सरकार औऱ असम के डीजीपी से 6 हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा गय़ा है। असम से दो साल पहले 300 करोड़ रुपए, 3 क्विंटल सोना और 2 एके 47 राइफल रहस्यमयी ढंग से गायब हो गया था। इसी मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस टी एस ठाकुर ने कहा कि मामला बेहद गंभीर है। शीर्ष अदालत में खुफिया विभाग के पूर्व अधिकारी मनोज कौशल ने याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गई है कि इसमें शामिल लोगों पर कार्रवाई की जाए और खजाने का पता लगाया जाए। कौशल का कहना है कि दो साल पहले जब वो असम में तैनात थे, तब बोडो उग्रवादी अक्सर वहां के व्यापारियों से वसूली करते थे। इन उग्रवादियों को देने के लिए करीब ढाई साल पहले 2014 में असम टी ओनर्स एसोसिएशन के अध्‍यक्ष मृदुल भट्टाचार्य ने 300 करोड़ रुपये, 3 क्विंटल सोने के अलावा 2 ऐके 47 राइफल चाय बगान में छुपा के रखे थे। ताकि इस खजाने को उग्रवादियों को दिया जा सके। इस खजाने के बागान में छुपाए जाने की जानकारी केवल भट्टाचार्य को थी। लेकिन तीन साल पहले मृदुल भट्टाचार्य और उनकी पत्नी रीता को उनके बंगले में ही जलाकर मार दिया गया। आगे कौशल ने कोर्ट को बताया कि जब उन्होने इस हत्याकांड की जांच की तो उन्हें खजाने के छुपाए जाने का पता चल गया, जहाँ उसे छुपाया गया था। चूंकि वो खुफिया विभाग के अधिकारी थे, इसलिए उन्होने इसकी जानकारी सेना के अधिकारियों को दी। सेना ने तय किया कि 1जून 2014 को खुदाई कर सोना निकाल किया जाएगा। लेकिन कुछ अधिकारियों के कारण यह सूचना लीक हो गई। कुछ लोगों ने 30 मई की रात में ही खुदाई कर सोना निकाल लिया। कौशल ने इसकी शिकायत आला अधिकारियों से की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। लिहाजा उन्हें अदालत की शरण में आना पड़ा। अब कोर्ट ने आदेश दिया है कि सोना चोरी करने वाले का पता लगाया जाए और जानकारी लीक करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।