नई दिल्ली : आमतौर पर सरकार अन्य विभागों और जनता से अपेक्षा करती है कि वह हर चीज का पूरा ब्यौरा सरकार को दे.लेकिन जब खुद सरकार ही सरकारी खजाने से निकली रकम के खर्च का ब्यौरा नही देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में कटघरे में खड़ी दिखाई दे तो इससे ज्यादा हास्यास्पद बात और क्या हो सकती है, वह भी पहले एक बार जुर्माना भरने के बाद. दरअसल कोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था, लेकिन उसने नहीं दिया .इसलिए उस पर 25 हजार का जुर्माना लगाया गया. गौरतलब है कि मो. शाहिद अनवर वकील द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि सीएजी को ट्रेजरी से निकले रकम के खर्च का पूरा ब्यौरा अनिवार्य तौर पर सरकार को समय से देना चाहिए.लेकिन जब सरकार चाहती है तभी वो खर्च का ब्यौरा सीएजी को देती है. ब्यौरा देने की कोई बाध्यता नहीं है कि सरकार ब्यौरा सीएजी को दे.याचिकाकर्ता की मांग है कि अन्य देशों की तरह सीएजी को अधिकार होना चाहिए कि खर्च का ब्यौरा सरकार से ले सके.जिसके लिए सीएजी एक्ट में जरूरी बदलाव करने हेतु सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है. स्मरण रहे कि उक्त मामले में इसीवर्ष अगस्त में कोर्ट ने सरकार से जवाब देने के लिए कहा था, लेकिन सरकार ने जवाब दाखिल नहीं किया. इससे पहले भी कोर्ट सरकार पर 10 हजार का जुर्माना लगा चुकी है. हाईवे पर शराब दुकानों को लेकर सुप्रीम... सुप्रीम कोर्ट में ही होगी जल विवाद की सुनवाई