नई दिल्ली : इन दिनों न्यायपालिका के तेवर काफी सख्त है, खास तौर से सुप्रीम कोर्ट के.ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए आरजेडी विधायक रवींद्र सिंह की याचिका खारिज कर उन पर दस लाख का जुर्माना भी लगाया. बता दें कि उन्होंने 1994 में स्थानीय भाषा की एक पत्रिका में प्रकाशित एक लेख की सच्चाई पर सवाल उठाया था. गौरतलब है कि बिहार के जहानाबाद जिले के अरवल विधानसभा सीट से विधायक रवींद्र सिंह ने 6 दिसंबर 2016 को पारित हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें हाईकोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी थी.सुप्रीम कोर्ट ने विधायक की खिंचाई करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि होते हुए उन्हें सतही केस दायर करके न्यायिक समय बर्बाद किया. प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा वह यह समझने में असफल रही कि किस कारण से सिंह ने 23 वर्ष पहले प्रकाशित एक लेख के संबंध में 2015 में हाईकोर्ट में पहले याचिका दायर की थी. पीठ में न्यायमूर्ति एनवी रमण और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे. जबकि हाईकोर्ट का आदेश स्पष्ट एवं साफ था.कोर्ट ने विधायक के तात्कालिक कदम को माफी योग्य नहीं माना, क्योंकि एक जनप्रतिनिधि होने के नाते उनसे अदालत के अधिकार क्षेत्र के दुरुपयोग की उम्मीद नहीं की जा सकती यह कहकर याचिका 10 लाख रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दी. इस मामले में एक खास बात यह नजर आई कि आमतौर पर अदालत मामले को स्वीकार करने से इंकार के बाद सूचीबद्ध नहीं करती, लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर विधायक आज उन पर लगाये गए जुर्माने को जमा कराने में असफल रहते हैं तो वह मामले पर चार सप्ताह के बाद सुनवाई करेगा. हालाँकि विधायक के वकील अमरेंद्र कुमार सिंह ने जुर्माने की राशि अधिक होने का जिक्र किया तो , पीठ ने कहा कि राशि अधिक होनी चाहिए, क्योंकि जनप्रतिनिधि गैर माफी योग्य गतिविधि से लिप्त हुए जिससे न्यायिक समय बर्बाद हुआ. उपहार अग्नि कांड: सुप्रीम कोर्ट ने दिया गोपाल अंसल को झटका कोलकाता हाईकोर्ट के जज करनन को अवमानना नोटिस जारी